संतान भाव में नपुंसक ग्रह शनि भाग २
संतान भाव में नपुंसक ग्रह शनि भाग २
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यदि पंचम भाव में उच्च राशि का शनि स्थित हो जो कि मिथुन लग्न की कुंडली में ही संभव है तो ऐसे व्यक्ति की संतान ईर्ष्यालु होती है अर्थात दूसरों से वैर करने वाली होती है साथ ही ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में उच्च शिक्षा प्राप्ति के योग होते हैं व आय की शुरुवात करने के लिए अर्थात नौकरी पाने हेतु कुछ संघर्ष करना पड़ता है, यदि उच्च नवांश का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान अधिकतर बीमार रहती है।
यदि पंचम भाव में शुभ वर्ग का शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान कृतघ्न होती है कहने का आशय यह है कि ऐसे व्यक्ति अपने संतान के लिए सब कुछ त्याग कर देते हैं अर्थात सब चीजों का बलिदान कर देते हैं किंतु उनको संतान से वो सम्मान नही मिल पाता है, यदि पाप वर्ग का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान अकसर किसी न किसी रोग से पीड़ित रहती है।
यदि नीच राशि का शनि पंचम भाव में हो जो कि धनु लग्न की कुंडली में ही संभव है तो ऐसे व्यक्ति अपनी बौद्धिक क्षमता से अच्छा धनार्जन करते है साथ ही एक बार जीवन में धन वृद्धि हेतु कड़ा संघर्ष करते हैं तथा ऐसे व्यक्ति कहानियाँ बहुत बनाते हैं अर्थात बातें बनाना व बातों को दूसरों के समक्ष कुछ इस प्रकार रखते है कि वह एक कहानी की तरह होती है इसके अतिरिक्त पंचम भाव में नीच राशि का शनि संतान सुख में कमी का भी सूचक होता है, यदि नीच नवांश का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान जल्द ही प्रौढ़ हो जाती है कहने का आशय यह है कि ऐसे व्यक्तियों की संतान जल्द ही गंभीर स्वभाव की हो जाती है और उन पर कम उम्र में ही जिम्मेदारियां आ जाती है।
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यदि मित्र राशि का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान मेहनती होती है तथा अपने बाहुबल से उन्नति को प्राप्त करती है, यदि मित्र नवांश का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों की संतान पशु पालने की शौंकीन होती है अर्थात ऐसे व्यक्तियों की संतान को पालतू पशु से अत्यधिक प्रेम रहता है।
यदि वर्गोत्तम स्थिति का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों को संतान सुख अवश्य ही प्राप्त होता है किंतु पौत्र प्राप्ति में बाधा आती है।
यदि शत्रु राशि का शनि पंचम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के कम पुत्र होते हैं या पुत्र सुख में कमी होती है इस स्थिति में अधिकतर ऐसे व्यक्तियों को कन्या संतति की प्राप्ति होती है।
यदि स्वराशि शनि पंचम भाव में स्थित हो जो कि कन्या व तुला लग्न की कुंडली में ही संभव है यदि कन्या लग्न की कुंडली में पंचम भाव में शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा के समय कोई न कोई संघर्ष अवश्य रहता है जो कि समय के साथ कम होता जाता है साथ ही ऐसे व्यक्तियों को प्रतियोगी परीक्षाओं से लाभ मिलता है व उन परीक्षाओं को निकालकर जीवन में सफल होते हैं, यदि तुला लग्न की कुंडली में शनि पंचम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों की बौद्धिक क्षमता बहुत अच्छी होती है किंतु इनका मन स्थिर नही रहता साथ ही इन्हें नींद की भी किसी न किसी प्रकार की समस्या रहती है अतः इन्हें योग व ध्यान अवश्य करना चाहिए व पूरी नींद लेनी चाहिए साथ ही ऋषि कश्यप का मत है कि ऐसे व्यक्तियों को पुत्र अवश्य ही प्राप्त होते हैं या ऐसे व्यक्तियों को ऐसी संतान प्राप्त होती है जो अपनी जिम्मेदारियों को अच्छे से समझ कर उनका निर्वहन करती है।
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जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470
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