महाशिवरात्रि 2022: शुभ मुहर्त व पूजा विधान
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार महाशिवरात्रि सनातन धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है जिसे फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है, इस वर्ष फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी सोमवार को चतुर्दशी निशीथ में नही है दूसरे दिन चतुर्दशी घट्यादि ४५|५ (रात्रि १२:१७) तक है तथा निशीथकाल: ४३|२० (रात्रि ११:३५) उ. ४५|२५ (रात्रि १२:२५) तक है अतः औदयिक चतुर्दशी १ मार्च २०२२ मंगलवार को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा जो लोग महाशिवरात्रि व्रत करते हैं वह १ मार्च २०२२ को महाशिवरात्रि व्रत करेंगे और २ मार्च २०२२ को महाशिवरात्रि व्रत की पारणा होगी।
महाशिवरात्रि पर्व भेद व निर्धारण:-
निर्णय सिंधु के अनुसार चतुर्दशी तिथि में प्रदोष व्यापिनी होने पर महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है जिसमे सभी को रात्रि जागरण करना चाहिए, इस वर्ष प्रदोष व्यापिनी चतुर्दशी तिथि १ मार्च २०२२ को प्राप्त होने के कारण से १ मार्च २०२२ को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा, चतुर्दशी तिथि के स्वामी स्वम् देवों के देव महादेव है, मान्यता है कि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि में देवाधिदेव महादेव का विवाह आदि शक्ति माता पार्वती के साथ संपन्न हुआ था इसलिए यह तिथि महाशिवरात्रि के नाम से विख्यात हुई, महाशिवरात्रि के दिन जो भी व्यक्ति श्रद्धा भाव से व्रत कर के शिव जी व माता पार्वती की आराधना करता है उसके सभी पाप नष्ट हो जाते हैं व उन्हें मृत्यु उपरांत शिव जी के चरण कमलों में स्थान प्राप्त होता है।
महाशिवरात्रि मुहर्त:-
चतुर्दशी तिथि १ मार्च की मध्य रात्रि १२:१७ तक रहेगी तथा धनिष्ठा नक्षत्र मध्य रात्रि ३:१८ तदोपरांत शतभिषा नक्षत्र रहेगा और इसी दिन चंद्र भी दिन में ३:४७ पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे तथा वृश्चिक लग्न (स्थिर लग्न) का उदय रात्रि ११:११ पर होगा अतः महाशिवरात्रि पूजन शुभ मुहर्त १ मार्च की मध्य रात्रि निशीथकाल: ११:३५ से १२:२५ तक रहेगा इस प्रकार पूजन मुहर्त की समयावधि ५० मिनट रहेगी।
महाशिवरात्रि पूजा विधान:-
सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि कर के मस्तक पर त्रिपुंड तिलक लगाना चाहिए साथ ही रुद्राक्ष की माला को धारण कर के हाथ में जल, अक्षत, पुष्प लेकर अपना नाम व गोत्र बोलकर पूजा का संकल्प करना चाहिए तथा रुद्राष्टकं, रुद्राभिषेक, शिवतांडव स्त्रोत्र, मधुराष्टकं, विल्वाष्टकं, शिव चालीसा, शिव सहस्त्रनाम, शिव गायत्री मंत्र व महामृत्युंजय मंत्र का विधिवत पूजन कर आरती करनी चाहिए।
कालसर्प दोष से मुक्ति:-
जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष हो वह शिव जी का रुद्राभिषेक कर चांदी के एक जोड़ा सर्प शिवलिंग पर अर्पित करें इससे कालसर्प दोष के कारण से आ रही समस्त बाधाओं से शिव जी की कृपा से मुक्ति मिलती है।
ग्रह दोष शांति व निवारण:-
जिस किसी व्यक्ति की कुंडली में अरिष्ट योग हों वह सुबह नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि कर के मस्तक पर त्रिपुंड तिलक लगाकर शिवलिंग का दुग्ध मिश्रित जल से अभिषेक कर चावल मिश्रित काला तिल अर्पित करें व महामृत्युंजय मंत्र के हवन करें निश्चय ही शिव जी की कृपा से सभी अरिष्ट दूर होकर आरोग्य व आयुष्य की प्राप्ति होगी।
संतान व विवाह हेतु उपाय:-
जी किसी को विवाह व संतान प्राप्ति में बाधा आ रही हो वह शिव जी का मधु से रुद्राभिषेक कराकर मधुराष्टकं का पाठ करें इससे उनके विवाह व संतान में बाधक बने ग्रहों की शांति होगी व विवाह और संतान प्राप्ति के योग बनेंगे।
महाशिवरात्रि पर्व की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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