मंगल दोष क्या सच में इतना बुरा है जितना इसको ज्योतिषियों ने बताया है जानिए क्या है मंगल दोष, मंगल दोष की विस्तृत जानकारी

मंगल दोष, मंगल दोष की विस्तृत जानकारी

 

मंगल दोष:-

 

मंगल, शनि, सूर्य राहु व केतु ये पाँच क्रूर ग्रह होते हैं लग्न से दूसरा भाव कुटुंब का भाव होता है और पत्नी कुटुंब का प्रधान केंद्रीय स्तंभ होती है और यदि स्तंभ ही टूट जाए तो शामियाना गिर पड़ता है इस प्रकार यदि पत्नी ही नष्ट हो जाए तो कुटुंब कैसे बढेगा।
लग्न से चतुर्थ भाव सुख का स्थान होता है चतुर्थ भाव से ही घर का विचार भी किया जाता है गृहणी (घर वाली) ही न रहे तो घर कैसा चतुर्थ भाव से सुख की बात की जाती है, पत्नी की सास यानी कि आपकी माता, मकान, वाहन का विचार किया जाता है चतुर्थ का मंगल घर के सुख को नष्ट करता है।
लग्न से सप्तम भाव पत्नी का स्थान, अष्टम भाव लिंग मूल से गुदाविधि का होता है इस भाग का पत्नी से संबंध स्पष्ट है व्याख्या की आवश्यकता नही है पत्नी की कुंडली से इस स्थान का उसके पति से संबंध सुस्पष्ट है तथा लग्न से द्वादश (बाहरवां) भाव शैया सुख कहलाता है शैया का परम सुख कांता है बाहरवें में मंगल शयन की सुख हानि करता है इन पांच स्थानों में से मंगल, शनि, सूर्य, राहु व केतु जिस भाव में हो उस भाव के सुख में कमी करते हैं इनका विचार लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली तथा शुक्र से (शुक्र काम का अधिष्ठाता है, सप्तम भाव का कारक है इसलिए वैवाहिक सुख विचार में शुक्र का महत्व है) करना चाहिए।
स्त्रियों की कामवासना का मंगल से विशेष विचार करना चाहिए स्त्रियों के मासिक धर्म प्रवाह का वर्ण रक्त है, पुरुष की कामवासना का विचार शुक्र से करना चाहिए इसी कारण शुक्र को वीर्य कहा गया है जिसका वर्ण श्वेत है।
मंगल मकर राशि में उच्च का होता है, शुक्र मीन राशि में उच्च का होता है इसी कारण कंदर्प या कामदेव का नाम संस्कृत में मकरध्वज (मकर जिसकी ध्वजा में है) मीन केतन (मीन जिसके ध्वज में है) कहा जाता है।
न तो कामदेव नाम का कोई व्यक्ति है और न ही उसका कोई ध्वजा है, केवल एक सिद्दांथ को व्यक्त करने वाले यह विशेषण है काम का जल तत्व से सीधा संबंध है समुद्र (जल) से ही लक्ष्मी उत्पन्न हुई इसी कारण चंद्रमा जल तत्व का प्रधान होने के नाते लक्ष्मी जी के भाई कहलाए।
बसंत पंचमी को जब शुक्र प्रायः उच्च के होते हैं उसी दिन कामदेव का जन्म माना जाता है वनस्पति जगत में पहले कली होता है इसमें जो पराग होता है उसे रज कहते हैं कन्याओं में काम प्रकट होने का प्रथम लक्षण रजोदर्शन होता है इसी कारण दोनों (कलियों व कन्याओं) के संबंध में रज शब्द का प्रयोग किया गया है।
पुष्प विकसित रूप है इसलिए मासिक धर्म में जब स्त्री होती है तो उसे पुष्पिणी कहते हैं इन्ही पुष्पों को कामदेव का बाण कहा जाता है उनके पांच बाण है जो फूलों के हैं शब्द, स्पर्श, रूप, रस, गंध इन्ही पांच से मनुष्य में कामवासना जागृत होती है यही कामदेव के पांच बाण हैं।
इसी प्रकार ज्योतिष शास्त्र में जो निर्देश किए गए हैं वे गूढ़ सिद्दांथो पर आधारित हैं जिन्हें मैं बहुत ही छोटे में व सरल शब्दों में समझाने का एक प्रयास कर रहा हूँ।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470

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