जन्मकुंडली में पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

जन्मकुंडली में पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

 

जन्मकुंडली में पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

जन्मकुंडली में पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

 

धर्म शास्त्र में विवाह संस्कार के बाद संतानोत्पादन का विचार बतलाया गया है हिन्दू धर्मशास्त्र अनुसार जिस मनुष्य को पुत्र नही रहता उसकी मुक्ति नही होती है पुत्र शब्द का अक्षरार्थ भी ऐसा ही होता है इन्ही सब कारणों से पुत्र संबंधी अनेकानेक योगादि ज्योतिष शास्त्रों में वर्णित हैं उनमें से कुछ सरल व अचूक सूत्रों को मैं यहाँ प्रस्तुत कर रहा हूँ।

 

पुत्र के सुख-दुखादि का विचार सप्तमेश, नवमेश, पंचमेश तथा गुरु से करना चाहिए, लग्न से सप्तम स्थान जाया स्थान है पुत्र का गुणादि जाया के गुणादि से बहुत संबंध रखता है इस कारण से पुत्र के गुणादि के विचार में सप्तमेश पर भी विचार करना बतलाया है, नवम स्थान जातक/जातिका का भाग्य स्थान है और पंचम, पुत्र स्थान से पंचम स्थान नवम होता है अतएव पुत्र कारक ग्रह बृहस्पति का भी विचार करना बतलाया है।

 

फलदीपिका नामक पुस्तक में लिखा है कि यदि स्त्री की कुंडली से विचार करना हो तो उस जातिका के जन्म समय का बृहस्पति, चन्द्रमा व मंगल के स्फुटों को जोड़कर जो योगफल आए (यदि १२ से अधिक आए तो १२ से भाग देकर जो शेष बचे उसको लेना चाहिए।) यदि वह सम राशि हो और नवमांश विषम हो तो संतानोत्पति शक्ति उस स्त्री की अच्छी होती है ठीक इसी प्रकार यदि वह विषम राशि हो और नवमांश सम राशि का हो तो उस स्त्री की संतानोत्पति शक्ति अच्छी नही होती अर्थात उपचार एवं औषधादि प्रयोग उपरांत संतान प्राप्ति होती है।

 

यदि पुरुष की कुंडली हो तो सूर्य, शुक्र एवं बृहस्पति के स्फुट को जोड़कर जो योगफल आए यदि वह विषम राशि और विषम नवमांश भी हो तो ऐसे जातक में पुत्रोत्पादन शक्ति बहुत अच्छी होती है परंतु इसके विपरीत होने पर फल उत्तम नही होता है।

 

पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र:-

 

पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

पुत्र योग ज्ञात करने के सरल व अचूक सूत्र

 

१. पंचम भाव, पंचमेश व गुरु यदि शुभ ग्रहों द्वारा देखे जाते हों या युत हों तो पुत्र सुख निश्चय ही प्राप्त होता है।

 

२. बली गुरु यदि पंचम भाव में हो और लग्नेश से दृष्ट हो तो पुत्र सुख अवश्य ही प्राप्त होता है।

 

३. यदि पंचम भाव में वृष, कर्क या तुला राशि में शुक्र या चंद्र स्थित हों और उनको कोई अशुभ ग्रह न देखता हो तो इस स्थिति में बहु पुत्र योग बनता है किंतु यदि क्रूर ग्रह मुख्यतः शनि व मंगल पंचम भाव को देखें तो यह अनिष्टकारी होता है अतः उस स्थिति में संतान सुख कठिन प्रयासों से ही प्राप्त होता है।

 

४. यदि लग्नेश और पंचमेश एक साथ हों या एक-दूसरे को परस्पर देखते हैं या स्वग्रही हों या मित्रग्रही हों या उच्च राशि के अंतर्गत स्थित हों तो पुत्र सुख अवश्य ही प्राप्त होता है।

 

५. यदि पंचम भाव पर पंचमेश, भाग्येश व लग्नेश की दृष्टि हो तो पुत्र सुख अवश्य ही प्राप्त होता है।

 

६. यदि चंद्रमा पंचम भाव में मंगल के नवमांश का होकर स्थित हो और शनि से दृष्ट हो परंतु अन्य ग्रहों से दृष्ट न हो तो जातक गुढोत्पन्न अर्थात उसकी स्त्री को किसी अन्य पुरुष के माध्यम से पुत्र प्राप्त होता है।

 

७. यदि पंचम भाव चन्द्रमा के नवमांश में हो और चंद्रमा से दृष्ट भी हो तो ऐसे व्यक्तियों को दास/दासी से पुत्र सुख प्राप्त होता है।

 

८. यदि पंचम भाव सूर्य के वर्ग का हो और चंद्रमा से दृष्ट हो अथवा पंचम भाव चंद्रमा के वर्ग का हो और सूर्य से दृष्ट हो साथ ही शुक्र की दृष्टि भी पंचम भाव पर पड़ती हो तो जातक को सहोदर पुत्र अर्थात वैसी स्त्री से पुत्र प्राप्त होता है जो विवाह समय ही गर्भिणी हो।

 

९. यदि पंचम भाव सूर्य के षोडशांश का हो और पंचम भाव में सूर्य स्थित हो या पंचम भाव को देखता हो तो जातक को कानिन अर्थात अविवाहिता स्त्री से पुत्र सुख प्राप्त होता है।

 

१०. यदि पंचम स्थान शनि के वर्ग का हो या पंचम स्थान में सूर्य स्थित हो और मंगल से दृष्ट हो तो जातक को अधमप्रभव अर्थात शुद्री द्वारा (अपने से अलग कुल की लड़की) पुत्र प्राप्त होता है।

 

जय श्री राम।

 

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470, 7007245896

Email:- pooshark@astrologysutras.com

6 replies
  1. Sushil
    Sushil says:

    Husband
    11 aug 1983, time 11:15pm,
    Bilaspur Himachal Pradesh

    Wife ,
    31 oct 1984 time 3:35 pm
    Gurgaon haryana

    24 April 2023 ko conceive Kiya hai

    Reply

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *