21 जून 2021 सोमवार “चंद्रवासरे” का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार” जानिए, लग्न सारणी, आज के विशेष योग, विविध मुहर्त व वास्तु शास्त्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ
21 जून 2021 सोमवार “चंद्रवासरे” का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार” जानिए, लग्न सारणी, आज के विशेष योग, विविध मुहर्त व वास्तु शास्त्र से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियाँ
दिनांक:- 21 जून 2021
वार:- सोमवार (चंद्रवासरे)
तिथि:- एकादशी दिन ०९:४२ तक तदोपरांत द्वादशी
पक्ष:- शुक्ल पक्ष
माह:- ज्येष्ठ
गोल:- उत्तर
नक्षत्र:- स्वाति दिन ०१:५४ तक तदोपरांत विशाखा
योग:- शिव दिन ०३:२३ तक तदोपरांत सिद्ध
करण:- विष्टि उपरांत वव
चंद्रमा:- तुला
सूर्य:- मिथुन
सूर्य स्पष्ट:- ०५°२३’४२”
मंगल:- कर्क
बुध:- वृषभ
गुरु:- कुंभ
शुक्र:- मिथुन रात्रि १०:३४ तक तदोपरांत रात्रि १०:३५ से कर्क
शनि:- मकर (वक्री)
राहु:- वृषभ
केतु:- वृश्चिक
अयन:- उत्तरायण
सूर्योदय:- ०५:१३ (काशी)
सूर्यास्त:- ०६:४७ (काशी)
चंद्रोदय:- ०२:३८ (काशी)
दिनमान:- ३३:५७ (काशी)
दिशा शूल:- पूर्व
निवारण उपाय:- उडद का सेवन
गुलिक काल:- ०२:०५ से ०३:५०
राहु काल:- ०७:०७ से ०८:५१
अभिजीत मुहर्त:- ११:५३ से १२:४९
विक्रम संवत:- २०७८
संवत्सर नाम:- आनंद
शक संवत:- १९४३
युगाब्ध:- ५१२३
सूर्योदयकालीन दैनिक स्पष्टभौमादिग्रह
मंगल:- १०°२०’३३”
बुध:- १९°३७’५९”
गुरु:- ०९°३८’०६”
शुक्र:- २९°०७’३८”
शनि:- १४°४३’२९”
राहु:- १५°३१’३६”
केतु:- १५°३१’३६”
लग्न सारणी समाप्ति समय (दिन)
मिथुन लग्न:- ०७:०१ तक
कर्क लग्न:- ०९:१९ तक
सिंह लग्न:- ११:३३ तक
कन्या लग्न:- ०१:४६ तक
तुला लग्न:- ०४:०२ तक
वृश्चिक लग्न:- ०६:१९ तक
लग्न सारणी समाप्ति समय (रात्रि)
धनु लग्न:- ०८:२५ तक
मकर लग्न:- १०:१२ तक
कुंभ लग्न:- ११:४३ तक
मीन लग्न:- ०१:११ तक
मेष लग्न:- ०२:४८ तक
वृषभ लग्न:- ०४:४४ तक
आज के विशेष योग
वर्ष का ७० वाँ दिन, भद्रा दिन ०९:४२ तक, निर्जला एकादशी व्रत सबका, भीमसेन एकादशी, आज चीनी, सुवर्ण तथा जलकुम्भ दान, कूर्म जयंती मध्यान्ह में, चंपक द्वादशी (उड़ीसा), श्री काशी विश्वनाथ पंचांग संस्थापक पंडित ऋषिकेशोपाध्याय जयंती, दिन ०९:४२ के बाद स्वाति नक्षत्र में विवाह मुहर्त तथा नामकरण, सिशुताम्बूलभक्षण, शिपविद्या, औषधि सेवन, उपनयन (०९:१९ से ११:३३), वस्तु विक्रय, वाहन खरीदने एवं फसल काटने का मुहर्त है।
वास्तु टिप्स
पूजा घर में तस्वीरों दीवार में बने आले, अलमारी या चारपाए पर बने लकड़ी के मन्दिर अथवा मेज पर ऊँचे स्थान पर रखनी चाहिए।
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