19 फरवरी 2021 गुरुवार (वीरवासरे) का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार” जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार मृत पूर्वजों के चित्र किस दिशा में लगाना चाहिए

19 फरवरी 2021 गुरुवार (वीरवासरे) का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार” जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार मृत पूर्वजों के चित्र किस दिशा में लगाना चाहिए

 

आज का पंचांग

आज का पंचांग

 

दिनांक:- १९ फरवरी २०२१
वार:- शुक्रवार (भृगुवासरे)
तिथि:- सप्तमी ०८:४६ तक/अष्टमी
माह:- माघ
ऋतु:- शिशिर
गोल:- दक्षिण
पक्ष:- शुक्ल पक्ष
नक्षत्र:- कृत्तिका रात्रि ०३:४८ तक/रोहिणी
योग:- ऐन्द्र रात्रि ०२:५१ तक/वैधृति
करण:- वणिज उपरांत विष्टि
चन्द्रमा गोचर:- मेष दिन ०७:५२ तक/वृषभ
दिनमान:- २८:११
अयन:- उत्तरायण
सूर्योदय:- ०६:२२ (काशी)
सूर्यास्त:- ०५:३७ (काशी)
सूर्य गोचर:- कुंभ राशि
औदयिक स्पष्ट सूर्य:- ०६:१७:१५
मंगल गोचर:- मेष राशि
बुध गोचर:- मकर राशि (वक्री)
गुरु गोचर:- मकर राशि
शुक्र गोचर:- मकर राशि (अस्त)
शनि गोचर:- मकर राशि
राहु गोचर:- वृषभ राशि
केतु गोचर:- वृश्चिक राशि
दिशा शूल:- पश्चिम
निवारण उपाय:- जौं का सेवन
राहु काल:- १०:३० से १२:००
अभिजीत:- १२:२४ से १३:१२
विक्रम सम्वंत:- २०७७
शक सम्वंत:- १९४२
युगाब्द:- ५१२२
संवत्सर नाम:- प्रमादी

 

विशेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी

विशेश्वर ज्योतिर्लिंग काशी

 

चौघङिया दिन
चंचल:- ०७:१० से ०८:३५
लाभ:- ०८:३५ से ०९:५९
अमृत:- ०९:५९ से ११:२३
शुभ:- १२:४७ से १४:११
चंचल:- १६:५९ से १८:३५
चौघङिया रात
लाभ:- २१:३७ से २३:१३
शुभ:- ००:४९ से ०२:२५
अमृत:- ०२:२५ से ०४:१०
चंचल:- ०४:१० से ०५:३७

आज के विशेष योग
वर्ष का ३३२वाँ दिन, भद्रा दिन में ०८:४६ से रात्रि ०९:४९ तक, चंद्र वृष में दिन ०७:५२ से, रथ सप्तमी ७, अचला सप्तमी व्रत, षष्ठी को एक बार भोजन कर के सप्तमी में अरुणोदय काल में गंगा स्नान करना चाहिए, देवनारायण व नवल मात्रंग जयंती, मे. तामड़िया भैरुजी चाकसू (जयपुर), पशु मे. ०४ दिन का प्रा. रामदेव जी (नागौर), चंद्रभागा सप्तमी, गुरु बाल्यत्व समाप्त ०७:३०, ग्रहयुति संयोग चंद्रमा से ४° उत्तर में मंगल ०८:०० बजे, भीष्माष्टमी ८ (मध्याह्न व्यापिनी), भीष्म के निमित्त श्राद्ध तथा तर्पण, छत्रपति शिवाजी जयंती (नवीनतम)

१९ फरवरी २०२१ विविध मुहर्त

तिथि ७ शुक्रवार को कृत्तिका में भौमयुति तथा भद्रा है।

वास्तु टिप्स
मृत पूर्वजों के चित्र मन्दिर में नहीं लगाने चाहिए, ये चित्र कक्ष की दक्षिण पश्चिम दीवार पर लगाने चाहिए।

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