18 फरवरी 2021 गुरुवार (वीरवासरे) का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि भवन के सामने “T” बन रहा हो तो उसका निवारण किस प्रकार करना चाहिए

18 फरवरी 2021 गुरुवार (वीरवासरे) का पंचांग “ऋषिकेश पंचांग (काशी) अनुसार जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार यदि भवन के सामने “T” बन रहा हो तो उसका निवारण किस प्रकार करना चाहिए

 

आज का पंचांग

आज का पंचांग

 

दिनांक:- १८ फरवरी २०२१
वार:- गुरुवार (वीरवासरे)
तिथि:- षष्ठी प्रातः ६:३८ तक/सप्तमी
माह:- माघ
ऋतु:- शिशिर
गोल:- दक्षिण
पक्ष:- शुक्ल पक्ष
नक्षत्र:- भरणी रात्रि १:१४ तक/कृत्तिका
योग:- ब्रह्म रात्रि २:२० तक/ ऐन्द्र
करण:- तैतिल ०८:१८ तक/ गर
चन्द्रमा गोचर:- मेष
दिनमान:- २८:०७
अयन:- उत्तरायण
सूर्योदय:- ६:२३ (काशी)
सूर्यास्त:- ५:३७ (काशी)
सूर्य गोचर:- कुंभ
औदयिक स्पष्ट सूर्य:- ०५:१६:३७
मंगल गोचर:- मेष
बुध गोचर:- मकर (वक्री)
गुरु गोचर:- मकर
शुक्र गोचर:- मकर (अस्त)
शनि गोचर:- मकर
राहु गोचर:- वृषभ
केतु गोचर:- वृश्चिक
दिशा शूल:- दक्षिण
निवारण उपाय:- दहीं का सेवन
राहु काल:- १३:३० से १५:००
अभीजित:- १२:२४ से १३:१२
विक्रम सम्वंत:- २०७७
शक सम्वंत:- १९४२
युगाब्द:- ५१२२
संवत्सर नाम:- प्रमादी

 

वैष्णव माँ

वैष्णव माँ

 

चोघङिया दिन
शुभ:- ०७:११ से ०८:३५
चंचल:- ११:२३ से १२:४७
लाभ:- १२:४७ से १४:११
अमृत:-१४:११ से १५:३५
शुभ:- १६:५९ से १८:२५
चोघङिया रात
अमृत:- १८:२५ से २०:०१
चंचल:- २०:०१ से २१:३७
लाभ:- ००:४९ से ०२:२५
शुभ:- ०४:०१ से ०५:३७
अमृत:- ०५:३७ से ०७:११

सूर्योदयकालीन दैनिक स्पष्ट भौमादिग्रह

मंगल:- २८:४२:४२
बुध:- १९:११:४६ (वक्री)
गुरु:- २१:१९:४५
शुक्र:- २६:५५:५८
शनि:- ०९:५५:०६
राहु:- २२:०२:४६
केतु:- २२:०२:४६

 

१८ फरवरी २०२१ लग्न सारणी दिवा

कुंभ लग्न:- ०६:२३ से ०७:३७
मीन लग्न:- ०७:३७ से ०९:०५
मेष लग्न:- ०९:०५ से १०:४२
वृषभ लग्न:- १०:४२ से १२:३८
मिथुन लग्न:- १२:३८ से ०२:५२
कर्क लग्न:- ०२:५२ से ०५:१०

१८ फरवरी २०२१ लग्न सारणी रात्रि

सिंह लग्न:- ०५:१० से ०७:२४
कन्या लग्न:- ०७:२४ से ०९:३७
तुला लग्न:- ०९:३७ से ११:५७
वृश्चिक लग्न:- ११:५७ से ०२:१४
धनु लग्न:- ०२:१४ से ०४:२०
मकर लग्न:- ०४:२० से ६:०७

 

विशेश्वर ज्योतिर्लिंग (काशी)

विशेश्वर ज्योतिर्लिंग (काशी)

 

आज के विशेष योग

वर्ष का ३३१वाँ दिन, यायीजययोग प्रातः ६:३६ से रात्रि १:१४ तक, यमघंट योग रात्रि ०१:१४ से, छठ तिथि वृद्धि, मर्यादा महोत्सव (जैन), मन्वादि।

वास्तु टिप्स

भवन के सामने यदि मार्ग की टी बन रही हो अर्थात् मार्ग भवन पर आकर समाप्त हो जाता हो तो भवन के मुख्य द्वार पर दर्पण लगा लेना चाहिए।

3 replies
  1. Johanna
    Johanna says:

    A motivating discussion is worth comment. I think that you ought
    to write more on this subject, it may not be a
    taboo matter but typically people don’t discuss these issues.
    To the next! All the best!!

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