महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 जानें पूजन विधि व शुभ मुहर्त
महाशिवरात्रि 11 मार्च 2021 जानें पूजन विधि व शुभ मुहर्त
शिव महापुराण के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है इसी दिन पुरुष (शिव) व प्रकृति (पार्वती) का साकार रूप में विवाह संपन्न हुआ था धर्म शास्त्रों में रात्रिकालीन विवाह मुहर्त को सर्वश्रेष्ठ माना जाता है इसी कारण शिव जी का पार्वती जी का विवाह रात्रि में ही संपन्न हुआ था अतः फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को निशीथ काल में महाशिवरात्रि मनाई जाती है जो कि इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को है।
महाशिवरात्रि का महत्व
शिवमहापुराण के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन ही पुरुष अर्थात भगवान आशुतोष व प्रकृति अर्थात माता पार्वती का साकार रूप में विवाह संपन्न हुआ था इस दिन श्रद्धा भाव से शिव जी की पूजा करने से भगवान शिव जी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है तथा मनुष्य अपने सभी पापकर्मों से मुक्त होकर मृत्यु पश्चात भगवान आशुतोष के चरणों में स्थान प्राप्त करता है, पुराणों के अनुसार पूर्वजन्म में एक बार कुबेर ने अनजाने में ही महाशिवरात्रि के दिन भगवान आशुतोष की पूजा की थी जिससे प्रसन्न होकर शिव जी ने उन्हें अगले जन्म में देवताओं का कोषाध्यक्ष बनने का वरदान दिया था और शिव जी के वरदान से वह देवताओं के कोषाध्यक्ष बनें।
महाशिवरात्रि पूजन शुभ मुहर्त:-
११ मार्च २०२१ को दिन के २ बजकर २१ मिनट पर चतुर्दशी तिथि लगेगी जो कि १२ मार्च २०२१ को दिन के २ बजकर २० मिनट तक रहेगी धर्मशास्त्रों में फाल्गुन कृष्ण, चतुर्दशी तिथि को निशीथ काल में महाशिवरात्रि पर्व मनाने का विधान है अतः इस वर्ष ११ मार्च २०२१ को महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाएगा, इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र रात के ९ बजकर २८ मिनट तक तदोपरान्त शतभिषा नक्षत्र और शिव योग दिन के ९ बजकर २८ मिनट तक तदोपरांत सिद्ध योग रहेगा तथा चंद्रमा दिन के ९ बजकर २० मिनट पर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे साथ ही इस दिन अभिजीत मुहर्त दिन के १२ बजकर २० मिनट से १ बजकर ०८ मिनट तक रहेगा अतः दिन के २ बजकर २१ मिनट बाद से संपूर्ण दिन-रात्रि शिव जी व पार्वती जी के पूजन हेतु शुभ रहेगा साथ ही शिव योग में और अभिजीत मुहर्त में भी पूजा की जा सकती है।
महाशिवरात्रि पूजन विधि:-
सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर स्नानादि कर के भगवान शिव का जलाभिषेक व पंचामृत स्नान करना चाहिए तदोपरांत चंदन, भस्म, रोली, जौं, काला तिल, अक्षत शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए तथा जनेऊ, बड़ी सुपाड़ी, वस्त्र, इत्र, गुलाब के पुष्प, विल्वपत्र, दूर्वा, भांग व धतूरा अर्पित करना चाहिए उसके बाद नैवेध अर्पित कर शिव जी का पूजन करना चाहिए और आरती कर पूजा संपन्न करनी चाहिए, अभीष्ट लाभ हेतु रुद्राभिषेक, रुद्रार्चन कर सकते हैं।
जय श्री राम।
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली
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जय श्री राम