पुरुषोत्तम मास 2020: जानें पुरुषोत्तम मास क्यों पड़ता है व महत्व तथा पुरुषोत्तम मास में क्या करना चाहिए

पुरुषोत्तम मास 2020: जानें पुरुषोत्तम मास क्यों पड़ता है व महत्व तथा पुरुषोत्तम मास में क्या करना चाहिए

 

 

पुरुषोत्तम मास

पुरुषोत्तम मास

 

सनातनी परंपरा में ज्योतिष शास्त्र अनुसार चंद्र गणना आधारित काल गणना पद्धति प्रमुख मानी जाती है इस पद्धति में चंद्रमा की 16 कलाओं के आधार पर दो पक्ष (कृष्ण व शुक्ल) का एक मास माना जाता है प्रथम पक्ष अमांत और दूसरा पूर्णिमांत कहा जाता है कृष्ण पक्ष के प्रथम दिन से पूर्णिमा की अवधि में 29 दिन और 12 घन्टे होते हैं इस दृष्टि से गढ़ना अनुसार एक वर्ष 354 दिन का होता है तथा वैज्ञानिक तथ्यों के अनुसार पृथ्वी द्वारा सूर्य की परिक्रमा करने में 365 दिन और 6 घन्टे का समय लगता है, सूर्य गणना व सनातनी परंपरा की चंद्र गणना पद्धति में हर वर्ष 11 दिन 3 घड़ी व 48 पल का अंतर पड़ता है और यही अंतर तीन वर्ष में निरंतर बढ़ते हुए लगभग एक वर्ष का हो जाता है इसी अंतर के कारण हर तीन वर्ष में एक अधिकमास पड़ता है।

 

पुरुषोत्तम मास का महत्व:-

 

अधिकमास का अर्थ

अधिकमास का अर्थ

 

अधिक मास की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने इस मास को अपना नाम दिया और कहा कि अब से मैं इस मास का स्वामी रहूँगा तथा यह मास अब पुरुषोत्तम नाम से जाना जाएगा साथ ही यह मास जगत पूज्य होगा व दारिद्रय का नाश करने वाला होगा, इस मास में जो भी नियम पूर्वक भगवान विष्णु और शिव जी की पूजा करता है उन्हें अलौकिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है तथा मृत्यु उपरांत किसी भी प्रकार की अधोगति का भय नही रहता है।

 

पुरुषोत्तम मास में क्या करें:-

 

पुराणों के अनुसार पुरुषोत्तम मास में पूजन, व्रत, दान संबंधी अनेक नियम बताए गए हैं वह मैं आप सभी के समक्ष रखता हूँ:-

 

१. प्रातः काल सूर्योदय से पूर्व ही उठकर नित्यकर्म से निवृत्त होकर भगवान विष्णु के समक्ष पूजन का संकल्प लेना चाहिए तथा विधि-विधान पूर्वक विष्णु जी व शिव जी का पूजन करना चाहिए।

२. पुरुषोत्तम मास में श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करना सर्वश्रेष्ठ रहता है इससे सभी पापों से मुक्ति मिलती है।

३. पुरुषोत्तम मास में एक लाख तुलसी के पत्ते से शालिग्राम भगवान का पूजन करने से अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है।

४. पुरुषोत्तम मास की समाप्ति पर स्नान, जप, दान (गुड़, गेहूँ, घृत, पीला वस्त्र, पीला मीठा, केला, सुराही, ककड़ी, ऋतुफल, मूली), पुरुषोत्तम मास पाठ करना चाहिए तथा दान करने के पश्चात भगवान विष्णु जी को तीन बार अर्घ्य प्रदान करना चाहिए।

पुरुषोत्तम मास में क्या न करें:-

 

पुरुषोत्तम मास जिसे अधिक मास भी कहते हैं में विवाह, यज्ञ, देवता व देवी के मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा, महादान, चूड़ाकर्ण (मुंडन), ऐसे तीर्थ स्थल की यात्रा जो पहले कभी न की हो, किसी स्थिर संपत्ति का क्रय जैसे वाहन, मकान, भूमि आदि या अन्य कोई भी शुभ कार्य का आरंभ नही करना चाहिए, इसके अतिरिक्त अन्य प्रकार के अनित्य और अनैमित्तिक कार्य जैसे नव वधू प्रवेश, नवीन यज्ञोपवीत धारण, व्रत का उद्यापन, नवीन अलंकार, नवीन वस्त्र धारण, कुएं व तालाब आदि का खनन भी निषेध माना गया है।

 

गुरु के उपाय के लिए सर्वश्रेष्ठ माह:-

 

पुरुषोत्तम मास गुरु के उपाय के लिए सर्वश्रेष्ठ मास माना गया है जिनकी भी कुंडली में गुरु अशुभ स्थिति में हो या कमजोर अवस्था में हो उन्हें पुरुषोत्तम मास प्रत्येक गुरुवार को गाय को चने की दाल खिलानी चाहिए तथा यथा सामर्थ्य पीली वस्तुओं का कुछ दक्षिणा सहित ब्राह्मण को दान व गुरुवार का व्रत करना चाहिए इससे गुरु ग्रह के शुभ फल में वृद्धि होती है।

 

जय श्री राम।

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470

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