गुरु वक्री 2 जुलाई 2021 जानें विभिन्न राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव
गुरु वक्री 2 जुलाई 2021 जानें विभिन्न राशियों पर पड़ने वाले प्रभाव
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार वैदिक ज्योतिष में गुरु को सबसे शुभ ग्रह माना गया गुरु विवाह, संतान व धन, भाग्य का कारक माना गया है गुरु एक राशि में 13 माह तक गोचर करते हैं “ऋषिकेश पंचांग” के अनुसार देव गुरु बृहस्पति 2 जुलाई 2021 को दिन के ०८:२३ पर वक्री अवास्था में गोचर करना आरंभ कर देंगे और 10 अक्टूबर 2021 को मध्य रात्रि ०३:०३ पर पुनः मार्गी हो जाएंगे इस प्रकार गुरु 3 माह 8 दिवस तक वक्री अवस्था में गोचर करेंगे तो चलिए जानते हैं गुरु के वक्री अवास्था से गोचर के दौरान विभिन्न राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा:-
मेष राशि:-
मेष राशि वालों के लिए गुरु नवम व द्वादश भाव के स्वामी होकर एकादश भाव से वक्री अवस्था गोचर करेंगे फलस्वरूप यात्राओं व परिवार पर धन व्यय होगा, घर के किसी बुजुर्ग सदस्य के स्वास्थ्य की समस्या चिंता का कारण बन सकती है, भाग्य का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा, संतान के स्वास्थ्य में सुधार होगा, जिन व्यक्तियों की शिक्षा में किसी कारण वश रुकावटें आ गईं थी उनकी शिक्षा पुनः आरंभ होगी, जो लोग विवाह योग्य हो गए हैं उनके विवाह हेतु कहीं बात चल सकती है, आय में मामूली वृद्धि होगी, बेरोजगारों को नौकरी प्राप्त होगी, भाई-बहन से अनेक अवसर पर विवाद हो सकते हैं, जिन व्यक्तियों का विवाह हो गया है व संतान की चाह रखते हैं उन्हें संतान से जुड़ा कोई शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है, पार्टनरशिप में किसी कार्य को आरंभ करने से बचें।
उपाय:- नित्य गाय को केला खिलाएं।
वृषभ राशि:-
वृषभ राशि वालों के लिए गुरु अष्टम व एकादश भाव के स्वामी होकर दशम भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप कारोबार के क्षेत्र में कुछ झंझटों के साथ सफलता प्राप्त होगी, पिता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता बनी रह सकती है, किसी संपत्ति के क्रय करने के योग बनेंगे, यदि आपको हिर्दय या रक्त से संबंधित कोई समस्या हो तो अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्णतया सतर्क रहें, घर में किसी मेहमान के आगमन की संभावना रहेगी, यदि आप घर खरीदने का विचार कर रहे हैं तो अगस्त के मध्य भाग से सितंबर माह के मध्य भाग तक का समय आपके लिए बेहद शुभ रहेगा किंतु इस दौरान आपके माता जी के स्वभाव में कुछ तेजी रह सकती है, गुरु के वक्री अवस्था के दौरान सोच-विचार कर ही कोई निर्णय लेना आपके लिए उचित रहेगा, कुटुंब का सहयोग प्राप्त होगा, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी।
उपाय:- विष्णु सहस्त्रनाम का नित्य पाठ करें।
मिथुन राशि:-
मिथुन राशि वालों के लिए गुरु सप्तम व दशम भाव के स्वामी होकर नवम भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप भाग्य में उतार-चढ़ाव बना रहेगा, गुरु के वक्री अवस्था के दौरान आप धर्म का उचित रूप से पालन नही कर सकेंगे, बुद्धि व विवेक द्वारा लिए गए निर्णयों से लाभ मिलेगा किंतु आवेश में आने से बचें, स्वास्थ्य सामान्यतः ठीक रहेगा फिर भी स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सतर्क रहें व वाहन सावधानी से चलाएं, नवदम्पत्तियों को संतान से जुड़ा शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है, दाम्पत्य जीवन भी अधिकांश ठीक रहेगा किंतु किसी तीसरे व्यक्ति की बातों में आने से बचें, खान-पान का विशेष ख्याल रखें अन्यथा वजन बढ़ने की संभावना रहेगी जिस कारण से पैरों में दर्द की शिकायत रह सकती है।
उपाय:- नित्य गाय को आटे में हल्दी डालकर खिलाएं।
कर्क राशि:-
कर्क राशि वालों के लिए गुरु षष्ठ व नवम भाव के स्वामी होकर अष्टम भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे अतः इस दौरान आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्णतया सतर्क रहना चाहिए, अत्यधिक चिकनाई व मिर्च-मसाले वाले भोजन से परहेज करें, जिन व्यक्तियों को हिर्दय या रक्त से संबंधित कोई समस्या हो वह अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सतर्क रहें, गर्भवती महिलाओं को भी इस दौरान अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहना चाहिए, कार्य क्षेत्र में विपरीत परिस्थियों का सामना करना पड़ सकता है किंतु धैर्य व संयम रखने से आय वृद्धि के योग बनेंगे, घर के बुजुर्गों, संतान व पिता पर धन व्यय होने के योग बनेंगे, घर में किसी मेहमान के आगमन की संभावना रहेगी।
उपाय:- नित्य सुंदरकांड का पाठ करें।
सिंह राशि:-
सिंह राशि वालों के लिए गुरु पंचम व अष्टम भाव के स्वामी होकर सप्तम भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे अतः गुरु के वक्री अवस्था से गोचर आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सतर्क रहना चाहिए हालांकि गुरु की लग्न पर दृष्टि रहने से कोई गंभीर समस्या नही होगी किंतु यदि आपको हिर्दय या रक्त या किडनी से संबंधित कोई समस्या है तो आपको अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सतर्कता बरतनी चाहिए, दाम्पत्य जीवन में कलह पूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती है, बेरोजगारों को नौकरी प्राप्त होगी, अकास्मिक धन लाभ के योग बनेंगे, नवदम्पत्तियों को संतान से जुड़ा शुभ समाचार प्राप्त हो सकता है, बातों को दिल पर लेने से बचें।
उपाय:- गुरुवार के दिन हल्दी की गाँठ दाहिने हाथ की भुजा पर बांधें।
कन्या राशि:-
कन्या राशि वालों के लिए गुरु चतुर्थ व सप्तम भाव के स्वामी होकर षष्ठ भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप स्थान परिवर्तन व नौकरी परिवर्तन के योग बनेंगे, माता के स्वास्थ्य का ख्याल रखें, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी, तनाव लेने से बचें, गुरु के वक्री अवस्था से गोचर के दौरान आपकी सेहत थोड़ी नाजुक रह सकती है अतः खान-पान का विशेष ख्याल रखें, परिवार व बुजुर्गों पर धन व्यय हो सकता है, अचानक किसी यात्रा पर जाने के योग बनेंगे, आय में वृद्धि होगी, कुटुंब का सहयोग प्राप्त होगा, किसी उच्चाधिकारी या श्रेष्ठ जन की कृपा प्राप्त होगी, कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा किंतु अनेक अवसर पर बाधाएं भी उत्पन्न होंगी।
उपाय:- नित्य सुंदरकांड का पाठ करें।
तुला राशि:-
तुला राशि वालों के लिए गुरु तृतीय व षष्ठ भाव के स्वामी होकर पंचम भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप यात्राओं के योग बनेंगे, इस दौरान गर्भवती महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के प्रति पूर्ण सतर्क रहना चाहिए, संतान को कष्ट संभव है, आय में वृद्धि होगी व भाग्य का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा, बड़े भाई-बहन व पिता की उन्नति होगी, विद्यार्थियों के लिए गुरु का वक्री होना मिला-जुला फल देगा जिस कारण से शिक्षा में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न हो सकता है, प्रेमियों के मध्य विवादपूर्ण स्थितियाँ उत्पन्न होंगी, जो लोग टीचिंग, बैंकिंग, ज्योतिष, शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं आदि क्षेत्र से जुड़ा हुआ कार्य करते हैं उनके लिए गुरु का वक्री होना शुभफलदाई रहेगा, धर्म-आध्यात्म में रुचि बढ़ेगी, पिता के स्वास्थ्य में समस्या रह सकती है अतः उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखें।
उपाय:- प्रत्येक गुरुवार के दिन गाय को चने की दाल भीगाकर खिलाएं।
वृश्चिक राशि:-
वृश्चिक राशि वालों के लिए गुरु दूसरे व पंचम भाव के स्वामी होकर चतुर्थ भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे अतः संतान के स्वास्थ्य का ख्याल रखें, बुद्धि व विवेक द्वारा उन्नति के अवसर प्राप्त होंगे, कार्यक्षेत्र का विस्तार होगा, कार्य के सिलसिले से यात्रा संभव रहेगी, स्थान परिवर्तन के योग बनेंगे, यात्राओं पर धन व्यय होगा, गुरु के वक्री होने के कारण से आपके स्वास्थ्य में कुछ हल्का उतार-चढ़ाव संभव रहेगा, चिकनाई व मिर्च-मसाले वाले पदार्थों से परहेज करें, धर्म-आध्यात्म में रुचि बढ़ेगी व इनसे जुड़े कार्य करने वाले व्यक्तियों को उन्नति के अच्छे अवसर प्राप्त होंगे।
उपाय:- प्रत्येक गुरुवार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
धनु राशि:-
धनु राशि वालों के लिए गुरु प्रथम भाव अर्थात लग्न व चतुर्थ भाव के स्वामी होकर तृतीय भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप यात्राओं के योग बनेंगे, गुरु के वक्री अवस्था से गोचर के दौरान माता के स्वास्थ्य में कुछ समस्या संभव है, घर में खुशियों का माहौल रहने से मन प्रसन्न रहेगा, गुरु के वक्री गोचरकाल में आपके स्वास्थ्य में कुछ सुधार होगा फिर भी अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, लंबे समय से चली आ रही बीमारियों से राहत अनुभव होगी, मन प्रसन्न रहेगा किंतु व्यय की अधिकता के कारण से चिंता बनी रहेगी।
उपाय:- प्रत्येक गुरुवार गुरु मंत्र का 108 की संख्या में जप करें।
मकर राशि:-
मकर राशि वालों के लिए गुरु तृतीय व द्वादश भाव के स्वामी होकर द्वितीय भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप व्यय में वृद्धि होगी व यात्राओं के योग बनेंगे, स्थान परिवर्तन की संभावना रहेगी, छुपे हुए शत्रुओं से सावधान रहें, छोटे भाई-बहन की उन्नति होगी, माता के स्वास्थ्य का ख्याल रखें, भाग्य का सहयोग प्राप्त होगा, जीवनसाथी के साथ संबंधों में मधुरता आएगी, बेरोजगारों को नौकरी के अवसर प्राप्त हो सकते हैं, नौकरी परिवर्तन के योग बनेंगे।
उपाय:- प्रत्येक गुरुवार गाय को केला खिलाएं।
कुंभ राशि:-
कुंभ राशि वालों के लिए गुरु द्वितीय व एकादश भाव के स्वामी होकर आपके प्रथम भाव अर्थात लग्न से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे फलस्वरूप स्वास्थ्य अच्छा रहेगा किंतु धन के कारणों से मन में कुछ चिंता बनी रहेगी, तनाव लेने से बचें, आय में वृद्धि व उन्नति के नए मार्ग खुलेंगे जिनका लाभ आपको निकट भविष्य में अवश्य ही प्राप्त होगा, जो लोग विवाह योग्य हो गए हैं उनके विवाह हेतु कहीं बात चल सकती है, गर्भवती महिलाएं अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखें, संतान की उन्नति होगी, भाग्य का सहयोग प्राप्त होता रहेगा किंतु मन में किसी प्रकार की चिंता बनी रहेगी जिस कारण से आप गुरु के वक्री गोचरकाल में उन्नति हेतु कुछ अधिक ही प्रयासरत रहेंगे, कभी-कभी अत्यधिक तनावपूर्ण माहौल उत्पन्न हो सकता है अतः नित्य कुछ देर ध्यान करें जिससे आपका मन शांत रह सके।
उपाय:- नित्य सुंदरकांड का पाठ करें।
मीन राशि:-
मीन राशि वालों के लिए गुरु प्रथम भाव अर्थात लग्न व दशम भाव के स्वामी होकर द्वादश भाव से वक्री अवस्था में गोचर करेंगे अतः इस दौरान आप व्यर्थ की यात्राओं को टालने का प्रयास करें व खर्चों पर नियंत्रण रखें, यात्राएं, परिवार व बुजुर्गों पर धन व्यय होने के योग बनेंगे, शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी फिर भी मन में किसी प्रकार की चिंता बनी रहेगी, माता के स्वास्थ्य में लाभ होगा, किसी मेहमान के घर आगमन की संभावना रहेगी, स्वास्थ्य के प्रति थोड़ा सतर्क रहें व चिकनाई और मिर्च-मसाले वाले व्यंजनों से परहेज करें, तनाव लेने से बचें, धर्म-आध्यात्म में रुचि बढ़ेगी व इनसे जुड़े कार्य करने वाले व्यक्तियों की उन्नति होगी।
उपाय:- प्रत्येक गुरुवार मधुराष्टकं का पाठ करें।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470, 7007245896
Email:- pooshark@astrologysutras.com
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