लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

 

लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फल

लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फल

 

यदि कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति भाग्यवान होता है तथा इन्हें प्रायः चतुष्पात अर्थात गाय, भैंस, बकरी आदि के माध्यम से सुख प्राप्त होता है कहने का आशय यह है कि दूसरे भाव में यदि सूर्य हो और व्यक्ति यदि खेती बाड़ी करता हो तो बैलों की जोड़ी का सुख मिलता है और यदि व्यक्ति दूध विक्रेता है तो उसके पास अनेक मात्रा में गाय, भैंस व बकरी होंगी व उनसे लाभ होगा आदि फल होता है, यदि सूर्य कुंडली के दूसरे भाव में हो तो व्यक्ति का द्रव्य अच्छे कामों में व्यय होता है तथा स्त्री के निमित्त से अपने कुटुंब में भी कलह-क्लेश होता है किंतु ऐसे व्यक्तियों के वह सभी कार्य जिन्हें वो द्रव्य का निमित्त करना चाहते हैं उसमें इनको प्रायः नुकसान ही होता है, दूसरे भाव में यदि सूर्य हो तो व्यक्ति दंभी, कलह सहने वाला, मित्र विरोधी, पुत्रवान, वाणी दोष, नौकर-चाकर से युक्त, मुख रोगी व धन हानि आदि फल प्राप्त होते हैं, ऐसे व्यक्तियों की शिक्षा में अड़चनें आती है साथ ही ऐसे व्यक्ति हठी व चिड़चिड़े स्वभाव के होते हैं।

 

मंत्रेश्वर महाराज जी ने फलदीपिका में कहा है कि यदि सूर्य द्वितीय भाव में हो तो मनुष्य विद्या, विनय और धन से हीन होता है तथा उसकी वाणी में भी कुछ दोष रहता है, मानसागरी के अनुसार यदि दूसरे भाव में सूर्य हो तो:-

 

धनगतदिननाथे पुत्रदारै: विहीन:।
कृशतनु रतिदीनोरक्तनेत्र: कुकेश:।।
भवति च धनयुक्त: लोह ताम्रेण सत्यं।
न भवति ग्रहमेधी मानवो दुःखभागी।।

 

अर्थात यदि सूर्य दूसरे भाव में हो तो व्यक्ति को स्त्री सुख व पुत्र सुख नही मिलता है तथा इनका शरीर दुबला-पतला होता है और इन्हें रति सुख नही मिलता, ऐसे व्यक्तियों की आँखे लाल व केश बुरे होते हैं किंतु व्यक्ति धनवान होता है साथ ही लोहे और ताँबे से संपन्न होता है तथा ऐसे व्यक्ति गृहस्थी होकर भी किसी एक स्थान में घर बनाकर नही रहते अतएव दुःखी होते हैं।

 

ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के मत व अनुभव के अनुसार यदि लग्न कुंडली के दूसरे भाव में सूर्य बैठा हो तो व्यक्ति धनी होता है किंतु इनके धन की हानि भी प्रायः होती रहती है, साथ ही यदि दूसरे भाव में सूर्य वृषभ, कन्या या मकर राशि का हो तो व्यक्ति कभी धन का संचय नही कर पाता चाहे उसके लिए भी वो जितना भी यत्न कर ले और ऐसे व्यक्ति स्वतंत्र व्यापार करने के इच्छुक होते हैं तथा नौकरी पसंद नही करते हैं किंतु यदि धनेश बलवान हो अर्थात वक्री, अस्त, मंदगामी व अतिचारी न हो और किसी पाप ग्रह से संबंध न बनाता हो तो ही यह इच्छाएं व्यक्ति की पूर्ण होती है परंतु पिता और पुत्र के मध्य वैचारिक मतभेद बने रहते हैं, वकीलों और डॉक्टरों के लिए यह सूर्य शुभफलदाई होता है, यदि किसी ज्योतिषी के द्वितीय भासव में सूर्य हो तो उनके बताए अशुभ फल शीघ्र ही अनुभव में आते हैं किंतु शुभ फल अनुभव में बहुत ही विलंब से अनुभव में आते हैं प्रायः ज्योतिषी को अपयश ही मिलता है, यदि दूसरे भाव में मिथुन, तुला व कुंभ का सूर्य हो तो व्यक्ति अत्यंत धनी होता है किंतु लोगों की सहानुभूति से वंचित रहता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति धन व्यय के विषय में कृपण होते हैं अर्थात कंजूस होते हैं, दूसरे भाव में सूर्य यदि कर्क, वृश्चिक व मीन राशि का हो तो व्यक्ति अधिकारी या किसी उच्च पद पर कार्य करने वाला होता है तथा दूसरे भाव में सूर्य यदि मेष, सिंह और धनु राशि का सूर्य हो तो व्यक्ति बहुत स्वार्थी होता है तथा अपने आपको बड़ा आदमी बनाने की अदम्य इच्छा रखता है किंतु कार्य से मन चुराता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों को कार्य करना कम ही पसंद आता है, इसके अतिरिक्त यदि सूर्य दूसरे भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के नेत्र, हाथ व पैर प्रायः गर्म ही रहते हैं और इन्हें उत्तम भोजन करने में बड़ी रुचि होती है, कपड़ों को स्वच्छ रखने में इनका विशेष ध्यान जाता है तथा इनके वार्ता करने के तरीकों में बड़पन्न झलकता है।

 

ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के मत व अनुभव अनुसार यदि वृश्चिक, धनु, मकर या कुंभ लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य बैठा हो और धन स्थान का स्वामी वक्री हो या १२-४-६-८-१२ वें स्थान में हो तो यह महा दरिद्र योग होता है यह योग जिन व्यक्ति की कुंडली में होता है उन्हें अत्यंत गरीबी को भी झेलना पड़ता है तथा कई बार इन्हें भोजन के लिए भी तरसना पड़ता है, साथ ही यदि दूसरे भाव में सूर्य हो और उसे शनि न देखता हो तो व्यक्ति धनी होता है किंतु यदि शनि से दृष्ट हो तो धन सामान्य मात्रा एवं शनि से दृष्ट हो किंतु अन्य ग्रहों से नही तो व्यक्ति निर्धन होता है, साधारण रूप से ऐसे व्यक्तियों का धन चोरी होने के योग होते हैं, १७ वें व २५ वें वर्ष में धनहानि संभव होती है।

 

जय श्री राम।

 

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470, 7007245896

Email:- pooshark@astrologysutras.com

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *