मेष लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल भाग ४
मेष लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल भाग ४
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मेष लग्न की कुंडली के सप्तम भाव में सूर्य का फल:–
सप्तम भाव से विवाह, जीवनसाथी, पार्टनरशिप, नौकरी, मित्रता का विचार किया जाता है जहाँ सूर्य के अपने नीच राशि अर्थात तुला में बैठा होने के कारण से कठिन परिस्थितियों से होते हुए शिक्षा पूर्ण होने के योग बनेंगे तथा जातक/जातिका बुद्धि और विवेक की लघुता से कार्य करेंगे और संतान पक्ष में भी कुछ कमजोरी अनुभव होगी कहने का आशय यह है कि संतान को कष्ट या कुछ मुश्किल से संतान सुख प्राप्ति के योग बनेंगे तथा स्त्री के सुख-स्थान में परेशानी अनुभव होगी साथ ही रोजगार के मार्ग में दिक्कतों से एवं दिमागी परिश्रम से सफलता प्राप्ति के योग बनेंगे व सातवीं दृष्टि से प्रथम भाव अर्थात लग्न को अपनी उच्च राशि मेष में देखने के कारण से देह के कद में कुछ लम्बाई प्राप्त होगी तथा हिर्दय में कुछ छिपा हुआ स्वाभिमान विशेष रहेगा और बुद्धि की युक्ति से मान एवं प्रभाव प्राप्त होगा।
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मेष लग्न की कुंडली के अष्टम भाव में सूर्य का फल:-
अष्टम भाव से आयु, ससुराल, गूढ़ रहस्य, जीवनसाथी की वाणी का विचार किया जाता है जहाँ सूर्य अपने मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में बैठा होने के कारण से शिक्षा कठिन परिस्थितियों से होते हुए पूर्ण होगी तथा संतान पक्ष से कुछ कष्ट अनुभव होगा कहने का आशय यह है कि संतान सुख कुछ कष्ट से प्राप्त होगा या संतान से विवाद बना रहेगा या संतान को कोई कष्ट संभव रहेगा और दिमाग में कुछ परेशानियाँ रहेंगी तथा जीवन की दिनचर्या में प्रभाव रहेगा और और आयुष्य की वृद्धि होगी साथ ही पुरातत्व संबंध में बुद्धि योग द्वारा प्रभाव और चमत्कार रहेगा व सातवीं दृष्टि से दूसरे भाव धन और कुटुंब स्थान में अपने शत्रु शुक्र की वृषभ राशि में देखने के कारण से जातक/जातिका धन के कोष की वृद्धि करने में बहुत प्रयत्नशील रहेंगे किंतु फिर भी धन और कुटुंब की तरफ से कुछ असंतोष युक्त शक्ति प्राप्त होगी।
भाग:-३ पढ़ने के लिए इस लिंक पर जाएं
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470
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