सप्तम भाव में स्थित शनि का फल भाग: २

सप्तम भाव में स्थित शनि का फल भाग: २

 

शनि का सप्तम भाव में फल पढ़ने के लिए इस link पर जाएं।

 

विवाह भाव में विरक्ति कारक शनि

विवाह भाव में विरक्ति कारक शनि

 

यदि उच्च राशि का शनि सप्तम भाव में बैठा हो जो कि मेष लग्न की कुंडली में ही संभव है तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी स्थूल शरीर के होते हैं, ऐसे व्यक्ति छोटे स्तर से शुरू कर के जीवन में एक बहुत बड़ी सफलता प्राप्त करते हैं तथा समाज में मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होती है, यदि उच्च नवांश का शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी श्याम वर्ण के थोड़े जिद्दी स्वभाव वाले होते हैं।

 

यदि शुभ वर्ग का शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी शुद्ध स्वभाव वाले होते हैं कहने का आशय यह है कि उनमें छलावा नही होता अर्थात वो आपको जैसे दिखते हैं वैसे ही अंदर से भी होते हैं, यदि पाप वर्ग का शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी की विपरीत लिंग के प्रति अधिक रुचि रहती है कहने का आशय यह है कि विपरीत लिंग के व्यक्ति इनके अधिक दोस्त होते हैं।

 

शनि का सप्तम भाव में फल पढ़ने के लिए इस link पर जाएं।

 

 

यदि नीच राशि का शनि सप्तम स्थान में बैठा हो तो ऐसे व्यक्तियों को भूमि सुख अवश्य ही प्राप्त होता है तथा संतान का सुख भी प्राप्त होता है साथ ही ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी का देह कठोर होता है, यदि नीच नवांश का शनि सप्तम भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी धर्म विरुद्ध आचरण करते हैं कहने का आशय यह है कि उनको हर कार्य सबसे अलग तरीके से करना पसंद करते हैं।

 

ऋषि कश्यप के अनुसार यदि मित्र राशि का शनि सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी को क्रोध शीघ्र आता है, यदि मित्र नवांश का शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी में अच्छे गुणों का अभाव रहता है किंतु मेरे मत व अनुभव के अनुसार मित्र राशि व मित्र नवांश का शनि यदि सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी न्याय प्रिय, शांत स्वभाव किंतु क्रोधित हो जाने पर कभी माफ न करने वाले, धर्म की मर्यादा में रहकर आचरण करने वाले, अच्छे गुणों से संपन्न, श्याम वर्ण, जिद्दी होते हैं।

 

सप्तम भाव में स्थित शनि का फल

सप्तम भाव में स्थित शनि का फल

 

शनि का सप्तम भाव में फल पढ़ने के लिए इस link पर जाएं।

 

यदि वर्गोत्तमशनि सप्तम भाव में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी को चुगली करने की आदत होती है अर्थात ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी कोई भी बात गुप्त नही रख पाते हैं।

 

यदि स्वराशि शनि सप्तम भाव में स्थित हो जो कि कर्क लग्न व सिंह लग्न की कुंडली में ही संभव है तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी मजबूत इरादों वाले होते हैं साथ ही ऐसे व्यक्तियों को अपने जीवनसाथी के साथ सामंजस्य बैठाने में समय लगता है तथा ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी के पास पैसे की कमी बनी रहती है, यदि कर्क लग्न की कुंडली में स्वग्रही शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी का स्वभाव अलगाववादी होगा, वाचाल/बोलना/बातें कम करेंगे, दामपत्य जीवन में नीरसता अनुभव होगी तथा अपनी बातों पर अडिग रहेंगे, यदि सिंह लग्न की कुंडली में स्वग्रही शनि सप्तम भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों के जीवनसाथी समझदार व शिक्षित होते हैं साथ ही अपनी बातों पर अडिग रहते हैं।

 

शनि का सप्तम भाव में फल पढ़ने के लिए इस link पर जाएं।

 

जय श्री राम।

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *