वृषभ लग्न कुंडली के प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाव में सूर्य का फल
वृषभ लग्न कुंडली के प्रथम, द्वितीय व तृतीय भाव में सूर्य का फल
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी द्वारा लिखित यह ग्रह फल उनके स्वम् के अनुभव पर आधारित है यहाँ सिर्फ एक ही ग्रह के विभिन्न भावों में फल को बताया गया है अन्य किसी अन्य ग्रह के युति व दृष्टि संबंध बनाने या नीचभंग राजयोग बनने से बताए गए फलों में कुछ बदलाव संभव रहेगा।
वृषभ लग्न कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के प्रथम भाव अर्थात लग्न देह के स्थान पर अपने शत्रु शुक्र की वृषभ राशि में बैठा होने के कारण से जातक/जातिका माता का कुछ नीरसता युक्त सुख प्राप्त करेंगे तथा भूमि व मकान आदि का भी सुख प्राप्त करेंगे तथा घरेलू वातावरण के संबंध में कुछ क्लेश व मानसिक पीड़ा सहित सुख प्राप्त होगा साथ ही जातक/जातिका दिखने में कुछ आकर्षण का केंद्र होंगे किंतु दैहिक सुंदरता में कुछ कमी रहेगी और सूर्य के सातवीं दृष्टि से सप्तम भाव स्त्री व रोजगार स्थान को मित्र मंगल की वृश्चिक राशि में देखने के कारण से पति/पत्नी का उत्तम सुख प्राप्त होगा व रोजगार के मार्ग में बड़ी सफलता प्राप्त होगी।
वृषभ लग्न कुंडली के द्वितीय भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के द्वितीय भाव धन व कुटुंब स्थान पर अपने मित्र बुध की मिथुन राशि में बैठा होने के कारण से जातक/जातिका को कुटुंब का अच्छा सुख प्राप्त होगा व धन कोष में बड़ी वृद्धि होगी किंतु माता के सुख-संबंधों में कुछ कमी रहेगी तथा घर के वातावरण में कुछ झंझट युक्त माहौल रहेगा साथ ही अच्छी धन संपत्ति या जायदाद होते हुए भी जातक/जातिका उसका पूर्ण सुख नही प्राप्त कर सकेंगे और सूर्य के सातवीं दृष्टि से अष्टम भाव आयु-मृत्यु व पुरातत्व स्थान को मित्र गुरु की धनु राशि में देखने के कारण से आयु की वृद्धि होगी और पुरातत्व शक्ति से सुख प्राप्त होगा तथा जातक/जातिका की दिनचर्या का लोगों पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
वृषभ लग्न कुंडली के तृतीय भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के तृतीय भाव पराक्रम एवं भाई के स्थान पर अपने मित्र चंद्र की कर्क राशि में बैठा होने के कारण से जातक/जातिका माता, भूमि, वाहन, मकान, वायुयान यात्रा आदि का उत्तम सुख प्राप्त करेंगे और स्वम् के असीम पराक्रम से बड़ी भारी सफलता प्राप्त करेंगे साथ ही भाई-बहन का सहयोग भी प्राप्त होगा और सातवीं दृष्टि से नवम भाव भाग्य व धर्म स्थान को शत्रु शनि की मकर राशि में देखने के कारण से भाग्य के संबंध में उन्नति करने के लिए जातक/जातिका को बहुत अधिक प्रयत्न करेंगे तथा पुरुषार्थ पर विश्वास रखेंगे और कुछ नीरसता युक्त मार्ग से धर्म का पालन करेंगे।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470, 7007245896
Email:- pooshark@astrologysutras.com
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