वृषभ लग्न कुंडली के दशम, एकादश व द्वादश भाव में सूर्य का फल
वृषभ लग्न कुंडली के दशम, एकादश व द्वादश भाव में सूर्य का फल
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी द्वारा लिखित यह ग्रह फल उनके स्वम् के अनुभव पर आधारित है यहाँ सिर्फ एक ही ग्रह के विभिन्न भावों में फल को बताया गया है अतः अन्य किसी ग्रह के युति व दृष्टि संबंध बनाने या नीचभंग राजयोग बनने से बताए गए फलों में कुछ बदलाव संभव रहेगा।
वृषभ लग्न कुंडली के दशम भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार दशम भाव पिता व राज्य स्थान पर सूर्य के अपने शत्रु शनि की कुंभ राशि में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका को कुछ नीरसता युक्त पिता का सुख प्राप्त होगा और कुछ कठिनाई के माध्यम से समाज में मान तथा प्रभाव प्राप्त होगा और कारोबार के मार्ग में बड़ी सफलता प्राप्त होगी किंतु सूर्य अंशों में जितना अधिक बली होगा उतनी कम उन्नति होगी परंतु सातवीं दृष्टि से सूर्य के चतुर्थ भाव माता व भूमि स्थान को अपने स्वामित्व वाली सिंह राशि में देखने के कारण से भूमि-मकानादि व माता का उत्तम सुख जातक/जातिका को प्राप्त होगा तथा घरेलू वातावरण में सुख शांति का माहौल रहेगा जिस कारण से जातक/जातिका सुखपूर्वक उन्नति प्राप्त करने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहेंगे।
वृषभ लग्न कुंडली के एकादश भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार एकादश भाव लाभ स्थान पर सूर्य के अपने मित्र गुरु की मीन राशि में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका को जीवन में बड़ी भारी सफलता प्राप्त होगी और अच्छी आमदनी रहेगी साथ ही भूमि, वाहन, मकान एवं वायुयान यात्रा का उत्तम सुख प्राप्त होगा और माता का उत्तम सुख प्राप्त होगा साथ ही घरेलू वातारण में भी सुख शांति का माहौल रहेगा और सुखेश होकर सूर्य के लाभ स्थान में बैठने के कारण से जातक/जातिका सुख पूर्वक उन्नति प्राप्त करने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहेंगे तथा सातवीं दृष्टि से सूर्य के पंचम भाव विद्या व संतान स्थान को मित्र बुध की कन्या राशि में देखने के कारण से जातक/जातिका को संतान का उत्तम सुख प्राप्त होगा तथा बुद्धि में उत्तेजना और उच्च शिक्षा प्राप्त होगी।
वृषभ लग्न कुंडली के द्वादश भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार द्वादश भाव खर्च व बाहरी स्थान पर सूर्य के अपने उच्च राशि मेष में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका खर्चा बहुत करेंगे तथा बाहरी स्थानों में सुख पूर्वक बड़ी सफलता प्राप्त करेंगे और जन्मस्थान से बाहर जातक/जातिका का भाग्योदय होगा किंतु घरेलू सुख संसाधनों में कुछ त्रुटि रहेगी और माता पक्ष में भी कुछ असंतोष बना रहेगा साथ ही भूमि-मकानादि के सुख संबंधों में हानि होगी और सातवीं दृष्टि से षष्ठ भाव रोग व शत्रु स्थान को सूर्य के अपनी नीच तुला में देखने के कारण से जातक/जातिका शत्रु पक्ष में कुछ पेचीदी शक्ति के द्वारा विजय प्राप्त करेंगे और देह के उदर, नेत्र व मूत्रेन्दीय स्थानों में कुछ विकार रहेगा।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470, 7007245896
Email:- pooshark@astrologysutras.com
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