वास्तु क्या है:-
आप सभी लोगों ने वास्तु शास्त्र के बारे में सुना होगा लेकिन बहुत कम लोग ही “वास्तु” के बारे में जानते होंगे चलिए आज मैं आप लोगों को “वास्तु क्या होता है” इस विषय पर बताता हूँ:-
“वस्” धातु एवं “तुण्” प्रत्यय से “वास्तु” शब्द की निष्पत्ति होती है जिसका अर्थ है गृह निर्माण की ऐसी कला जो मनुष्य द्वारा निर्मित घर को विघ्न-प्राकृतिक उत्पादों एवं उपद्रवों से बचाती है।
वास्तु वस्तुतः:-
पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्नि इन पांच तत्वों के समानुपातिक सम्मिश्रण का नाम है इसके सही सम्मिश्रण से “बायो-इलेक्ट्रिक मैग्नेटिक एनर्जी” की उत्पत्ति होती है जिससे मनुष्य को उत्तम स्वास्थ, धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
“मत्स्य पुराण” की सूची में 18 वास्तु शास्त्र के उपदेशक आचार्यों की गढना इस प्रकार से की गई है:-
भृगुरत्रिवसिष्ठश्च विश्वकर्मा मयस्तथा।
नारदो नग्नजिच्चैव विशालाक्षः पुरन्दर:।।
ब्रह्माकुमारो नंदीश: शौनको गर्ग एव च।
वास्तुदेवोशनिरुद्धश्च तथा शुक्र बृहस्पति।।
१. भृगु, २. अत्रि, ३. वसिष्ठ, ४. विश्वकर्मा, ५. मय, ६. नारद, ७. नग्नजित, ८. विशालाक्ष, ९. पुरन्दर, १०. ब्रह्मा, ११. कुमार, १२. नंदीश, १३. शौनक, १४. गर्ग, १५. वासुदेव, १६. अनिरुद्ध, १७. शुक्र, १८. बृहस्पति इत्यादि 18 वास्तुशास्त्र के प्रवर्तक आचार्य कहे गए हैं।
वास्तुशास्त्र की उत्पत्ति मानव जीवन की साथर्कता एवं लोक कल्याण की भावना को लेकर की गई है शिल्पशास्त्र के मर्मज्ञ आदि विश्वकर्मा कहते हैं:-
वास्तुशास्त्र प्रवक्ष्यामि लोकानां हित काम्यया।
आरोग्य पुत्रलाभं च धनं धान्य लभेन्नरः।।
अर्थात:- इसके अध्यन में व्यक्ति को उत्तम स्वास्थ लाभ, आरोग्य प्राप्ति, पुत्र संतति का लाभ, धन-धान्य व उत्तम ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
9919367470
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