लग्न में बैठे शनि का फल भाग:-२
लग्न में बैठे शनि का फल भाग:-२
यदि लग्न में शनि उच्च राशि का हो जो कि तुला लग्न की कुंडली में ही संभव है तो बेहद शुभ होता है तुला लग्न की कुंडली में शनि चतुर्थेश और पंचमेश अर्थात केंद्र व त्रिकोण का स्वामी होकर राजयोगकारक हो जाता है ऐसी स्थिति में व्यक्ति श्याम वर्ण का होता है तथा उसे खुद के घर का सुख अवश्य ही प्राप्त होता है और ऐसे व्यक्तियों की संतान भी अच्छी उन्नति करती है साथ ही संतान की उन्नति में उक्त व्यक्ति का भागीदार भी काफी ज्यादा होता है, यदि उच्च नवांश का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्ति का रंग बदलता रहता है कहने का तात्पर्य यह है कि ऐसा व्यक्ति चेहरे से कुछ और बाकी हिस्सों से कुछ रंग का होगा।
यदि शुभ वर्ग का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्ति की अस्थि सन्धियाँ क्षीण होती है अर्थात ऐसे व्यक्तियों को जोड़ों की समस्या रहती है, यदि पाप वर्ग का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्तियों को पित्त रोग होता है कील-मुहांसे काफी होते हैं, यदि नीच राशि का शनि लग्न में हो तो जो कि मेष लग्न की कुंडली में ही सम्भव है तो ऐसे व्यक्ति संघर्ष बहुत करते हैं तथा ऐसे व्यक्ति मेहनती भी होते हैं, ऐसे व्यक्तियों को चक्कर आते हैं साथ ही इन्हें खाँसी की भी शिकायत होती है, यदि नीच नवांश का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्तियों को कफ व वात रोग होता है।
यदि मित्र राशि का शनि लग्न में हो तो व्यक्ति गौरवर्ण का होता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों का रंग साफ होता है, यदि मित्र नवांश का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्तियों को हड्डियों/अस्थियों में कोई रोग रहता है, यदि शत्रु राशि का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्तियों के नाखून मोटे होते हैं जिसे सामुद्रिक शास्त्र में भी अच्छा नही कहा गया है, यदि शत्रु नवांश का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्तियों के दाँत बड़े होते हैं।
यदि वर्गोत्तम शनि लग्न में हो तो व्यक्ति पुष्ट व स्थूल शरीर का होता है।
यदि स्वराशि शनि लग्न में हो तो यह मकर व कुंभ लग्न में ही संभव हो तो ऐसे व्यक्तियों के घुटने लंबे होते हैं, मकर राशि का शनि यदि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्ति अपनी सोच पर अडिग रहते हैं इन्हें समझा पाना मुश्किल होता है तथा इनकी आर्थिक स्थिति जीवन के उत्तरार्ध में काफी अच्छी होती है, यदि कुंभ राशि का शनि लग्न में हो तो ऐसे व्यक्ति ज्ञानी होते हैं तथा इनकी आर्थिक स्थिति में उतार-चढ़ाव बना रहता है।
मकर राशि का लग्नस्थ शनि आर्थिक दृष्टिकोण से अच्छा होता है तो कुंभ राशि का लग्नस्थ शनि बौद्धिक दृष्टिकोण से अच्छा होता है, स्वराशि का लग्नस्थ शनि व्यक्तियों को बचपन में व्यथित तो जीवन के उत्तरार्ध में अच्छी स्थिति में पहुँचाता है।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
9919367470
Dhamyawad, meri kundli makar lagn ki h aur lagne shani aur rahu ki yuti h.
Kripya shani aur rahu ki yuti ka fal makar lagn ki kundli k paratham bhav me btane ki kripa krie
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आशना जी राम-राम
आपकी कुंडली मकर लग्न की है जिसमें राहु लग्न में शनि के साथ युत है राहु अर्थात भ्रम/माया होता है जिस कारण से आपके मन में डर व चिंता हमेशा बनी रहती होगी, लग्न में शनि स्वराशि का होकर शश नामक योग बना रहा है जो कि शुभ है साथ ही राहु की युति होने से जीवन में अत्यधिक संघर्ष के योग बनते हैं किंतु जीवन के उत्तरार्ध में बड़ी सफलता प्राप्त होगी, राहु के अंदर शनि की अंतर्दशा आपको शश योग का फल देगी, आपके पास अच्छा धन रहेगा व आपको भूमि व वाहन सुख निश्चय ही प्राप्त होगा, सप्तम भाव में चन्द्र की कर्क राशि होने से आपके पति थोड़े भावुक होंगे साथ ही उनमें दया, क्षमा की भावना प्रवल होगी क्योंकि चन्द्र माता का कारक होता है और माता से ज्यादा मातृत्व किसी मे नही होता अतः आपके जीवनसाथी अर्थात आपके पति आपसे बहुत प्रेम करेंगे किन्तु सप्तम भाव पर केतु का स्थित होना व राहु और शनि की सीधी दृष्टि होने से आप दोनों में फालतू के विवाद होते रहेंगे फिर भी आपका प्रेम व रिश्ता अटूट रहेगा और आपका दामपत्य जीवन भी आगे चलकर काफी अच्छा रहेगा, आप अपने जीवनसाथी को समझने का व उनके प्रति हठी स्वभाव आपको दूर रखना होगा क्योंकि आपका मकर लग्न है जो कि स्वभाव से ही जिद्दी होता है, आपके पति चंचल मन वाले होंगे उनके मन की बात को समझ पाना सरल नही होगा, विवाह बाद आपके पति का भाग्योदय होगा।
जय श्री राम।
Shukriya