लग्न कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

लग्न कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

 

लग्न कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फल

लग्न कुंडली के प्रथम भाव में सूर्य का फल

 

सूर्य यदि प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो ऐसे व्यक्ति प्रायः रूप में विचित्र, नेत्रों की समस्या से युक्त, कंठ या गुदा में ब्रण अथवा तिल युक्त, शूरवीर, क्षमाशील, घृणा रहित, कुशाग्र बुद्धि, उदार प्रकृति, साहसी व आत्मसम्मानी होते हैं परंतु ऐसे व्यक्ति निर्दयी, क्रोधी और क्रोध में कुछ भी कर गुजरने वाले होते हैं और उनको वात व पित्त के प्रकोप से पीड़ा रहती है तथा ऐसे व्यक्ति आकार में लंबे, गर्म शरीर वाले और थोड़े केश वाले होते हैं तथा ऐसे व्यक्तियों को अपनी बाल्यावस्था में अनेक पीड़ायें भोगनी पड़ती है और सर पर चोटादि लगने की संभावना रहती है, १५ वें वर्ष में अंग पीड़ा और वर्ष की आयु में ज्वर पीड़ा होती है यदि लग्न में सूर्य के साथ अन्य पापग्रह भी हों या सूर्य लग्न में नीच राशि का बैठा हो जो कि तुला लग्न की कुंडली में ही संभव है या शत्रु राशि के लग्न में स्थित हो तो सूर्य के अनिष्ट फल होते हैं।

 

लग्न में मेष राशि का सूर्य हो तो व्यक्ति नेत्र रोगी परंतु धनवान और कीर्तिमान होता है तथा यदि सूर्य को मित्र बली ग्रह देखते हों तो व्यक्ति विद्वान भी होता है, लग्न में तुला राशि का सूर्य हो तो व्यक्ति निर्धन तथा मानरहित होता है किंतु यदि सूर्य शुभ ग्रहों से दृष्ट हो तो अशुभता में कमी आती है, मंत्रेश्वर महाराज जी ने फलदीपिका में यहाँ तक कहा है कि यदि लग्न अर्थात प्रथम भाव में तुला राशि का सूर्य हो तो मनुष्य दरिद्र ही रहता है और उसके पुत्र नष्ट हो जाते हैं, यदि लग्न में सूर्य मकर या सिंह राशि हो तो व्यक्ति रतौंधी एवं हिर्दय रोग से पीड़ित होता है किंतु यदि सिंह का नवमांश भी हो और वहाँ भी प्रथम भाव अर्थात लग्न में ही सूर्य बैठे तो व्यक्ति किसी स्थान का मालिक होता है तथा शुभ ग्रह देखते हैं तो निरोगी होता है, यदि कर्क राशि का सूर्य प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो व्यक्ति रोगी किंतु ज्ञानी होता है, यदि लग्न अर्थात प्रथम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति कार्य करने में आलसी, क्रोधी, प्रचंड, लंबा, मानी अर्थात घमंडी, शूर, क्रूर, जल्दी क्षमा न करने वाला होता है और ऐसे व्यक्तियों के नेत्र कुछ रूखे होते हैं, मानसागरी के अनुसार:-

 

“सवितरि तनुसंस्थे शैशव व्याधियुक्तो नयनगदसुदुःखी नीचसेवानुरक्त:।

न भवति गृह मेधी दैवयुक्तो मनुष्यो भ्रमति विकलमूर्ति: पुत्र पौत्रे: विहीन:।।”

 

अर्थात यदि लग्न अर्थात प्रथम भाव में सूर्य स्थित हो तो व्यक्ति बाल्यावस्था में रोगी होता है तथा उसके नेत्रों में विकार रहता है साथ ही ऐसे व्यक्ति नीच लोगों की नौकरी करते हैं और एक जगह घर बसाकर नही रह पाते और हमेशा घूमते-फिरते रहते हैं तथा इन्हें पुत्र व पौत्र का सुख नही मिल पाता है तो वहीं वैधनाथ जी का मत है कि यदि सूर्य प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो उसकी संतति कम होती है और ऐसे व्यक्ति जन्म से ही सुखी, निर्दय, कम खाने वाले, चक्षुरोगी, सुशील, सुहावनी आँखों वाले, सब कामों में यशस्वी तथा बलवान होता है।

 

ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के मत व अनुभव के अनुसार यदि सूर्य प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो व्यक्ति युद्ध में आगे होकर लड़ने वाला, स्वतंत्रता में अधिक उन्नति करने वाला, पित्त, वायु व रक्तविकार के रोगों से पीड़ित व चर्म रोगी होता है इसके अतिरिक्त यदि स्त्री राशि का सूर्य प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो सुखदाई होता है तथा पुरुष राशि का सूर्य यदि प्रथम भाव अर्थात लग्न में हो तो थोड़ा दुःखदाई होता है साथ ही यदि धनु लग्न हो और प्रथम भाव में सूर्य स्थित हो तो व्यक्ति विद्वान, धर्मशास्त्रों को जानने वाला व उच्चाधिकारी होता है किंतु स्त्री सुख से वंचित रहता है या इसी तरह के अन्य किसी दुःख से पीड़ित होता है, यदि कर्क लग्न हो और प्रथम भाव में सूर्य स्थित हो तो व्यक्ति साधारण धनी, स्त्री सुख युक्त तथा संतति संपन्न होता है किंतु यशस्वी नही होता कहने का आशय यह है कि इस स्थिति में व्यक्ति के पास धन अच्छा रहता है किंतु व्यक्ति ऊँचे पद पर आसीन नही हो पाता है तथा दक्षिणायण का सूर्य इनके लिए शुभ होता है व उत्तरायण का सूर्य प्रायः लड़ाई-झगड़े, अपना स्वामित्व स्थापित करने की प्रवृत्ति को बढ़ावा देता है साधारण शब्दों में प्रथम भाव में यदि सूर्य शुभ स्थिति में हो तो अच्छा फल देता है किंतु स्वास्थ्य समस्याएं भी देता है।

 

जय श्री राम।

 

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470, 7007245896

Email:- pooshark@astrologysutras.com

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *