लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य का फल–Astrology Sutras

 

लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य का फल

लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य का फल

 

यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो ग्रंथकारों का मत है कि ऐसे व्यक्ति धर्म-कर्म में निरत, श्रेष्ठ बुद्धि वाले, मातृकुल के विरोधी, पुत्रवान, सुखी और पुत्र तथा मित्रों से सुखी रहते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति सूर्य और शिव आदि देवताओं का पूजन करने वाले तथा पिता से विरोध करने वाले होते हैं, यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति उत्कृष्ट विषय और सूर्य मंडल की अद्भुत घटना वली से प्रेम रखने वाला, उदार, साधारण संपत्ति अर्जित करने वाला, अच्छी सूझ-बूझ वाला तथा पैतृक संपत्ति का त्याग करने वाले होते हैं साथ ही इन्हें प्रायः पहले और दसवें वर्ष में तीर्थ यात्रा का सौभाग्य भी प्राप्त होता है किंतु यदि सिंह राशि का सूर्य नवम भाव में हो तो प्रायः व्यक्ति के भाई नही होते या भाई से वैचारिक मतभेद रहते हैं या भाई को किसी प्रकार से स्वास्थ्य में समस्या रहती है तथा यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य अपनी मित्र राशि का हो तो व्यक्ति सात्विक, अनुष्ठान शील और धार्मिक होता है।

 

यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य अपनी उच्च राशि अर्थात मेष या मित्र राशि के होकर स्थित हो तो व्यक्ति के पिता दीर्घायु होते हैं साथ ही ऐसे व्यक्ति धनवान और ईश्वर का भजन तथा भक्ति करने वाले होते हैं और इन्हें गुरु व देवताओं से अत्यधिक प्रेम रहता है किंतु यदि सूर्य लग्न कुंडली के नवम भाव में अपनी नीच राशि अर्थात तुला के होकर स्थित हों तो यह स्थिति भाग्य एवं धर्मानुष्ठान दोनो के लिए अनिष्टकर होता है और चिंता तथा विरक्ति प्रदान करता है, मंत्रेश्वर महाराज जी ने फलदीपिका में कहा है कि यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों को पिता व गुरु का पूर्ण सुख नही मिल पाता है किंतु ऐसे व्यक्तियों को पुत्र एवं बांधवों से अवश्य ही सुख मिलता है साथ ही ऐसे व्यक्ति देव व ब्राह्मण के भक्त होते हैं, मानसागरी में कहा गया है कि:-

 

ग्रहगतदिननाथे सत्यवादी सुकेशी कुलजनहितकारी देवविप्रानुरक्त:।
प्रथमवसि रोगी यौवनेस्थैयुक्तो बहुतरधनयुक्तो दीर्घजीवी सुमुर्ति:।

 

अर्थात यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति सत्यवक्ता, सुंदर केशों वाला, कुल के लोगों का हित चाहने वाला, देवताओं व ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला होता है साथ ही ऐसे व्यक्तियों का बचपन में स्वास्थ्य प्रायः उतार-चढ़ाव युक्त तथा युवावस्था में स्थिरता होती है तथा ऐसे व्यक्ति धनाढ्य, दीर्घायु तथा रूपवान होते हैं, आचार्य वराहमिहिर के अनुसार यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में में सूर्य हो तो व्यक्ति सुखी होता है तथा इन्हें धन, पुत्र एवं शौर्य तीनों सुख प्राप्त होते हैं।

 

ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुभव व मत के अनुसार यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को केवल शुभ फल ही प्राप्त हों ऐसा नही होता है सभी ग्रंथकारों ने नवमस्थ सूर्य के कुछ शुभ तो कुछ अशुभ फल बताए हैं वैधनाथ जी ने तो यहाँ तक कहा है कि यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति धर्मान्तर कर लेता है जो कि अत्यंत अशुभ फल है वैधनाथ जी के मत के अनुसार व्यक्ति नवमस्थ सूर्य की अन्त: प्रेरणा से अपना परंपरागत श्रुति-स्मृति-प्रतिपादित धर्म जो छोड़कर विधर्मियों के धर्म को स्वीकार करता है ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार यह फल तभी मिलते हैं जब नवम भाव का स्वामी पाप प्रभाव युक्त हो, यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो व्यक्ति को जीवन के प्रथम भाग में दुःख तथा अंतिम भाग में सुख मिलता है किंतु ऐसे व्यक्तियों को बुढापे में भी प्रायः कोई दुःख रहता है।

 

ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य मिथुन, तुला या कुंभ राशि का हो तो व्यक्ति लेखक, प्रकाशक या प्राध्यापक हो सकते हैं, यदि मेष, सिंह व धनु राशि का सूर्य नवम भाव में हो तो ऐसे व्यक्ति सेना, पुलिस या अन्य किसी प्रकार के सुरक्षा विभाग में कार्य करते हैं या फिर इंजीनियर होते हैं, यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य कर्क, वृश्चिक या मीन के हो तो व्यक्ति कवि, नाटककार, रसायन विद्या का संशोधक या धर्म से जुड़ा हुआ कार्य करने वाला होता है, यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य वृषभ, कन्या या मकर राशिगत हो तो व्यक्ति खेती या व्यापार का मालिक होता है, ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हों तो व्यक्ति धार्मिक, देवताओं व ब्राह्मणों का भक्त होता है किंतु ऐसे व्यक्ति बहुत भाग्यशाली नही होते, ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार यदि लग्न कुंडली के नवम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को स्त्री व पुत्र दोनो सुख उत्तम मिलते हैं तथा यदि सूर्य उच्च राशि मेष का हो तो पिता की अच्छी उन्नति व पिता से अत्यधिक प्रेम आदि फल भी मिलते हैं और ऐसे व्यक्तियों के पिता दीर्घायु होते हैं किंतु यदि सूर्य नवम भाव में नीच राशि तुला का हो तो व्यक्ति के पिता से वैचारिक मतभेद रहते हैं तथा पिता को कोई कष्ट अथवा पिता की मृत्यु आदि फल मिलते हैं।

 

जय श्री राम।

 

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470, 7007245896

Email:- pooshark@astrologysutras.com

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