मेष लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल भाग ३
मेष लग्न की कुंडली के विभिन्न भावों में सूर्य का फल भाग ३
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मेष लग्न की कुंडली के पंचम भाव में सूर्य का फल:-
पंचम भाव से विद्या, संतान, बौद्धिक क्षमता, प्रेम का विचार किया जाता है जहाँ सूर्य के अपने स्वराशि अर्थात स्वम् की राशि सिंह में बैठा होने के कारण से अच्छी शिक्षा प्राप्ति के योग बनते हैं और बुद्धि व वाणी की महान तेजी के कारण से ऐसे व्यक्ति समाज बड़ा भारी प्रभाव रखते हैं व संतान का उत्तम सुख व कम से कम एक पुत्र का सुख प्राप्त करते हैं किंतु ऐसे व्यक्तियों में अहंकार भी बना रहता है जिस कारण से अपनी बुद्धि की योग्यता के सम्मुख दूसरों की बुद्धि को तुच्छ समझते हैं तथा सातवीं दृष्टि से एकादश भाव जो कि लाभ भाव है को अपने शत्रु शनि की कुंभ राशि में देखने के कारण से आमदनी के मार्ग में विशेष प्रयत्न करने के बाद भी लाभ प्राप्ति की तरफ से कुछ असंतोष रहेगा किंतु ऐसे व्यक्ति लाभ के मार्ग में कुछ कटु भाषण से कार्य सम्पादन करते हैं।
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मेष लग्न की कुंडली के षष्ठ भाव में सूर्य का फल:-
षष्ठ भाव से रोग, शत्रु, प्रतियोगी परीक्षा, मामा की स्थिति का विचार किया जाता है जहाँ सूर्य अपने मित्र बुध की कन्या राशि में बैठा होने के कारण से विद्या ग्रहण करने में कुछ दिक्कतें रहेंगी किंतु बुद्धि और विद्या के द्वारा बड़ा भारी प्रभाव प्राप्त होगा और संतान पक्ष के अंदर कुछ परेशानी रहेगी, छठे भाव में गर्म ग्रह (सूर्य को गर्म ग्रह कहा जाता है) बड़ा शक्तिशाली फल का दाता हो जाता है इसलिए शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी व प्रतियोगी परीक्षाओं को निकालने की शक्ति प्राप्त होगी तथा सातवीं दृष्टि से द्वादश भाव खर्च व बाहरी स्थान को अपने मित्र गुरु की मीन राशि में देखने के कारण से व्यय/खर्चों में वृद्धि होगी और बुद्धि योग द्वारा बाहरी स्थानों से सफलता व मान प्राप्ति के योग बनेंगे।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
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जय श्री राम