जीवन में सर्वोच्च धन लाभ का समय: जानें कुंडली से कैसे ज्ञात किया जाए कि किस आयु में व्यक्ति को सर्वोच्च धन लाभ होता है

जीवन में सर्वोच्च धन लाभ का समय: जानें कुंडली से कैसे ज्ञात किया जाए कि किस आयु में व्यक्ति को सर्वोच्च धन लाभ होता है

 

 

जीवन यापन के लिए सबसे जरूरी धन होता है क्योंकि धन से ही हमें भोजन, भवन व सभी प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं मेरे पास बहुत से व्यक्ति यह प्रश्न लेकर आते हैं कि जीवन की किस आयु में मेरे पास सर्वोच्च धन होगा तो चलिए आज इसी विषय पर मैं अपने ज्ञान व अनुभव पर आधारित सूत्र पर चर्चा करता हूँ जिसे आप सभी किसी भी जन्म कुंडली में लगा कर उस कुंडली के सर्वोच्च धन लाभ की आयु को ज्ञात कर सकते हैं।

 

सर्वोच्च धन लाभ से ही स्पष्ट हो जाता है कि हमें इस सूत्र में धन भाव  (कुंडली के द्वितीय भाव से धन का विचार किया जाता है) की आवश्यकता होगी तदोपरांत सुख भाव (कुंडली के चतुर्थ भाव से सुख का विचार किया जाता है), भाग्य भाव (कुंडली के नवम भाव से भाग्य भाव का विचार किया जाता है), लाभ भाव (कुंडली के एकादश भाव से लाभ का विचार किया जाता है) तथा लग्न का विचार किया जाता है:-

 

सूत्र:-

 

जन्म कुंडली के लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, नवम व एकादश भाव में जो राशि हो उनको एक जगह लिख लें तदोपरांत उन भावों में जो ग्रह हो उनके मूलांक को लिख लें फिर उन दोनों  (भाव राशि के योगफल व ग्रहों  के मूलांक के योगफल)को जोड़ कर उनका योगफल ज्ञात कर लें और जो योगफल आए उसमें 12 से भाग दें दे तदोपरांत भाग देने पर जो शेषफल हमें ज्ञात हो उस शेषफल को धनेश जिस भाव में स्थित हो उस भाव से उतने भाव आगे जो राशि हो उस राशि के स्वामी की दशा में व्यक्ति सर्वोच्च धन लाभ प्राप्त करता है।

 

प्रश्न यह उठता है कि उक्त ग्रह की दशा में भी वह कौन सा समय होगा जब व्यक्ति अपने जीवन में सर्वोच्च धन लाभ प्राप्त करेंगे तो उक्त ग्रह की दशा में जब धन भाव में स्थित ग्रह की दशा आवे तब व्यक्ति को विशेष धन लाभ होता है।

 

अब प्रश्न यह उठता है कि यदि धन भाव में कोई भी ग्रह न स्थित हो तो वह समय कैसे ज्ञात किया जाए तो यदि धन भाव में यदि कोई भी ग्रह न स्थित हो तो धन भाव में जो राशि हो उसके स्वामी के मित्र ग्रह यदि धन भाव को देखें तो उन मित्र ग्रहों की अंतर्दशा में सर्वोच्च धन लाभ होता है।

 

अब प्रश्न यह उठता है कि यदि धन भाव में न तो कोई ग्रह बैठा हो और न ही धन भाव को कोई ग्रह देखता हो तब कैसे ज्ञात किया जाए कि व्यक्ति को सर्वोच्च धन लाभ कब होगा तो उस परिस्थिति में उक्त ग्रह की दशा में जब धनेश की अंतर्दशा आवे तब व्यक्ति को सर्वोच्च धन लाभ होता है।

ग्रहों के मूलांक:-

 

सूर्य से शनि तक सभी 7 ग्रहों के अपने-अपने मूलांक होते हैं किंतु राहु व केतु छाया ग्रह के होने से कारण से उनका कोई मूलांक नही होता अतः उनके मूलांक को 0 माना जाता है, ग्रहों के मूलांक:-

 

◆ सूर्य:- 7
◆ चंद्र:- 3
◆ मंगल:- 10
◆ बुध:- 6
◆ गुरु:- 9
◆ शुक्र:- 5
◆ शनि:- 1
◆ राहु:- 0
◆ केतु:- 0

 

चलिए इसको एक उदाहरण से समझते हैं:-

 

उदाहरण कुंडली

उदाहरण कुंडली

 

यह धनु लग्न की कुंडली है इसके द्वितीय भाव में 10, चतुर्थ भाव में 12, नवम भाव में 5, एकादश भाव में 7लग्न में 9 अंक है अतः उपरोक्त सूत्र के अनुसार इनको जोड़ने पर हमें 43 प्राप्त होगा।

 

अब इन्ही भावों में बैठे ग्रहों के मूलांक का योगफल ज्ञात करते हैं तो इस कुंडली के धन भाव में शुक्र व राहु, चतुर्थ, नवम व एकादश भाव में कोई ग्रह स्थित नही है, लग्न में सूर्य, शनि व बुध स्थित हैं अतः उपरोक्त सूत्र के अनुसार इन ग्रहों के मूलांक का योगफल ज्ञात करना चाहिए:-

 

शुक्र:- 5, सूर्य:- 7, शनि:- 1 व बुध:- 6 इन ग्रहों के मूलांक है जिनका योगफल 5+7+1+6= 19 प्राप्त होता है।

 

अब उपरोक्त बताए गए सूत्र के अनुसार प्रथम/लग्न, द्वितीय, चतुर्थ, नवम व एकादश भाव में स्थित अंक का योगफल व इन्ही भावों में स्थित ग्रह के मूलांक के योगफल को जोड़ देने पर 43+19= 62 प्राप्त होता है।

 

उपरोक्त बताए गए सूत्र के अनुसार हम अब इस योगफल में 12 का भाग देंगे:-

 

62÷12= 5

शेष:- 2

 

अब उपरोक्त कुंडली में बताए गए सूत्र अनुसार धनेश शनि लग्न में स्थित है और लग्न से द्वितीय भाव हमें धन भाव ही प्राप्त होता है जहाँ 10 लिखा हुआ है जिनके स्वामी शनि है अतः इस जातक/जातिका को शनि की दशा में सर्वोच्च धन लाभ होगा तथा धन भाव में शुक्र व राहु स्थित है अतः जब शनि की दशा में शुक्र व राहु की अंतर्दशा आएगी तब इन जातक/जातिका को अपने जीवनकाल का सर्वोच्च धन प्राप्त होगा।

 

विशेष:-

 

१. कभी-कभी 12 से भाग देने पर शेष 0 बचे तो इसका फल ज्ञात करने की अलग विधि होती है जिसको मैं अगले भाग में लिखूँगा।

 

२. यदि इस सूत्र को लगाने पर जिस ग्रह की दशा में व्यक्ति को सर्वोच्च धन लाभ प्राप्त होना है वह दशा बचपन में निकल गयी हो या जीवनकाल में वह दशा भोग्य ही न रहने वाली हो तो सर्वोच्च धन लाभ ज्ञात करने की अलग विधि होती है जिसे मैं अगले भाग में प्रकाशित करूँगा।

 

जय श्री राम।

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470

4 replies
  1. Amit saxena
    Amit saxena says:

    बिल्कुल पंडित नर्मदेश्वर शास्त्री जैसा जाने आप मैंl

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