जानें लड़की का ससुराल व उसका पति कैसा होगा भाग१
जानें लड़की का ससुराल व उसका पति कैसा होगा भाग १
भाग:-१
सभी माता-पिता अपनी बेटी के विवाह को लेकर काफी चिंतित रहते हैं कि उसका विवाह कब होगा, पति कैसा होगा, ससुराल कैसा होगा, बेटी के ससुराल की दूरी क्या होगी व उसका किस दिशा में विवाह होगा और उनकी यह चिंता स्वभाविक भी है, हमारे महर्षियों ने इस पर अनेक विचार रखें जिनमे से मैं भृगु संहिता के कुछ सूत्र को आप सभी के साथ साझा कर रहा हूँ जिससे आप सभी यह सभी प्रश्नों के उत्तर बहुत ही सरलता से ज्ञात कर सकते हैं।
कुंडली के सप्तम भाव से विवाह का विचार किया जाता है सप्तम भाव में जो राशि होती है उस राशि के स्वामी को सप्तमाधिपति कहा जाता है इसके अतिरिक्त ज्योतिष में गुरु को लड़की के विवाह का कारक माना गया है, विभिन्न लग्नों के अनुसार सप्तमाधिपति अर्थात सप्तम भाव के स्वामी भी बदलते रहते हैं जिसकी सहायता से हम विवाह से जुड़े प्रत्येक संदर्भ पर विचार करते हैं तो चलिए जानते हैं एक-एक कर हर सूत्र के बारे में जिससे हम बहुत ही आसानी से लड़की के पति, पति की आयु, विवाह की दूरी व दिशा, पति की नौकरी, विवाह की आयु के बारे में ज्ञात कर सकते हैं:-
विवाह किस वर्ष में होगा:-
लग्न कुंडली व चंद्र कुंडली के सप्तम भाव में जो राशि हो उसमें 10 अंक को जोड़ देना चाहिए तदोपरांत जितने भी ग्रह सप्तम भाव को देखते हैं या सप्तम भाव में बैठे हो उन सभी के 4-4 अंको को जोड़ देना चाहिए अब जो योगफल आएगा उस योगफल में कन्या का विवाह होता है।
विशेष:-
उस योगफल की आयु के समय सप्तमाधिपति की महादशा या अंतर्दशा व गुरु का लग्न, तृतीय, पंचम, सप्तम, नवम या एकादश भाव से गोचर होना अनिवार्य है किन्तु गोचरस्थ शनि की लग्न व सप्तम पर दृष्टि न हो तो ही यह सूत्र फलित होता है।
ससुराल की दिशा:-
१. यदि सप्तम भाव में मेष, सिंह या धनु राशि हो एवं सूर्य और शुक्र ग्रह हो तो पूर्व दिशा में शादी होती है।
२. यदि सप्तम भाव में वृष, कन्या या मकर राशि हो और चंद्र, शनि ग्रह स्थित हो तो दक्षिण दिशा में विवाह होता है।
३. यदि सप्तम भाव में मिथुन, तुला या कुंभ राशि हो और मंगल, राहु, केतु ग्रह स्थित हो तो पश्चिम दिशा में विवाह होता है।
४. यदि सप्तम भाव में कर्क, वृश्चिक या मीन राशि हो और बुध तथा गुरु हो तो उत्तर दिशा में विवाह होता है।
विशेष:-
यदि लग्न कुंडली में सप्तम भाव में कोई भी ग्रह स्थित न हो साथ ही उस भाव पर किसी ग्रह की दृष्टि भी न हो, तो उस स्थिति में जो ग्रह कुंडली में सबसे अधिक बली अवस्था में हो उस ग्रह की राशि जिस दिशा की स्वामी होगी उस दिशा में विवाह होता है।
विवाह की आयु:-
१. यदि सप्तम भाव में बुध स्वराशि या उच्च राशि का होकर बैठा हो व पाप ग्रह से न तो युत व दृष्ट हो तो ऐसी स्थिति में विवाह 13 से 19 वर्ष की आयु में विवाह होता है।
२. यदि सप्तम भाव में मंगल स्वराशि का होकर स्थित हो व पापी ग्रह से युत या दृष्ट हो तो ऐसी स्थिति में विवाह 24 वर्ष के अंदर होता है।
३. यदि सप्तम भाव में शुक्र स्थित हो व पापी ग्रह से युत या दृष्ट हो तो ऐसी अवस्था में विवाह 24-29 वर्ष की आयु में होता है।
४. यदि सप्तम भाव में चंद्रमा स्वराशि स्थित होकर पापी ग्रह से प्रभावित हो, तो ऐसी स्थिति में विवाह 22-24 वर्ष की आयु में होता है।
५. यदि सप्तम भाव में गुरु स्वराशि का होकर स्थित हो व पापी ग्रह से युत व दृष्ट न हो तो ऐसी स्थिति में विवाह 26-29 वर्ष की आयु में होता है।
६. यदि सप्तम भाव में चर राशि अर्थात मेष, कर्क, तुला व मकर राशि हो व कोई भी शुभ ग्रह सप्तम भाव में स्थित हो साथ ही सप्तम भाव को दो या दो से अधिक ग्रह देखते हैं तो विवाह उचित आयु में हो जाता है।
७. यदि सप्तम भाव में बुध मिथुन व कन्या राशि का स्थित हो व उस पर किसी भी ग्रह की दृष्टि न हो तो ऐसी स्थिति में विवाह बाल्यावस्था में ही संपन्न होने के योग बनते हैं।
पोस्ट की लंबाई को ध्यान में रखते हुए इसका भाग:-२ जल्द ही प्रकाशित करूँगा।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470
Leave a Reply
Want to join the discussion?Feel free to contribute!