चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल भाग १

चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल भाग १

 

चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल

चतुर्थ भाव में स्थित शनि का फल

 

कुंडली का चतुर्थ भाव सुख, माता, वाहन, भूमि, मानसिक स्थिति, घर के वातावरण, छाती, प्रारंभिक शिक्षा को दर्शाता है जहाँ बैठा शनि इन सभी को प्रभावित करता है क्योंकि शनि विरक्ति का कारक है चतुर्थ भाव में बैठा शनि व्यक्ति को बचपन में रोग-पीड़ा देने वाला कहा गया है ऐसे व्यक्तियों के बचपन में छाती में दर्द की शिकायत रहती है साथ ही चतुर्थ भाव में स्थित शनि बचपन में सीमित संसाधन देता है जो कि समय व परिश्रम के साथ-साथ बढ़ते जाते हैं, चतुर्थ भाव में स्थित शनि घर से दूर ले जाकर अच्छी उन्नति दिलवाता है ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में यदि विदेश यात्रा के योग हैं तो वह और भी प्रवल हो जाता है, बहुत से ग्रंथकारों का मत है कि यदि शनि चतुर्थ भाव में हो तो ऐसे व्यक्तियों को भूमि सुख नही मिल पाता किन्तु मेरा ऐसा मत व अनुभव है कि यदि शनि चतुर्थ भाव में अपनी उच्च राशि, स्वराशि व मूलत्रिकोण राशि अर्थात तुला, मकर व कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों को भूमि सुख अवश्य ही प्राप्त होता है, चतुर्थ भाव में स्थित शनि व्यक्ति का झुकाव आध्यात्म की ओर बढ़ाता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में प्रवज्या योग जिसे सन्यास योग भी कहा जाता है उसकी संभावना अधिक हो जाती है कहने का आशय यह है कि यदि शनि चतुर्थ भाव में स्थित हो तो ऐसा व्यक्ति धर्म-कर्म में अधिक रुचि रखता है, चतुर्थ भाव से घर के वातावरण का भी विचार किया जाता है जहाँ स्थित शनि अकसर घर के माहौल को गरम रखता है कहने का आशय यह है कि यदि चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों को मानसिक शांति जल्दी या ज्यादा समय तक अनुभव नही होती ऐसे व्यक्तियों के घर में कलह होते रहते हैं या अन्य किसी कारण से मन दुःखी रहता है।

 

चतुर्थ भाव में शनि

चतुर्थ भाव में शनि

 

चतुर्थ भाव वाहन सुख को भी दर्शाता है जहाँ स्थित शनि वाहन सुख प्रदान करता है किंतु ऐसे व्यक्तियों के वाहन में कोई न कोई समस्या अकसर बनी ही रहती है चाहे वो स्क्रैच की हो या अन्य कोई खराबी की हो, चतुर्थ भाव में स्थित शनि माता के स्वास्थ्य में भी परेशानी देता रहता है ऐसे व्यक्तियों की माता थोड़ी जिद्दी स्वभाव की होती हैं व उनके पैरों, कमर व जोड़ों में दर्द की शिकायत प्रायः देखी जा सकती है, चतुर्थ भाव व्यक्ति के प्रारंभिक शिक्षा को भी दर्शाता है अतः चतुर्थ भाव में बैठा शनि ऐसे व्यक्तियों की प्रारंभिक शिक्षा को भी प्रभावित करता है ऐसे व्यक्तियों की या तो शिक्षा कुछ विलंब से शुरू होती है या फिर ऐसे व्यक्ति अपनी योग्यता के अनुसार परीक्षा में अंक नही प्राप्त कर पाते हैं ऐसे व्यक्तियों को अपने टैलेंट को दिखाने के लिए प्रेरित करना पड़ता है तथा इनका टैलेंट लोगों के सामने आने में समय लगता है क्योंकि ऐसे व्यक्ति खुद के टैलेंट को ही जल्दी नही पहचान पाते हैं, यदि चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्तियों को वात व पित्त रोग होने की संभावना बढ़ जाती है, इसके अतिरिक्त यदि शनि चतुर्थ भाव में हो तो भृगु सूत्र के अनुसार ऐसे व्यक्तियों की माता को काफी कष्ट रहता है साथ ही ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में दो माता के योग बनते हैं किंतु इसके लिए अन्य ग्रहों की स्थिति पर भी ध्यान देना आवश्यक होता है।

 

 

चतुर्थ भाव में बैठे शनि की तीसरी दृष्टि छठे भाव पर पड़ती है जो यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्ति शत्रुओं पर विजय प्राप्त करते हैं अर्थात शत्रु इनको कोई हानि नही पहुँचा पाते हैं इसके अतिरिक्त ऐसे व्यक्ति प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफल होते हैं, चतुर्थ भाव में बैठे शनि की सातवीं दृष्टि दशम भाव अर्थात कर्म स्थान पर पड़ती है जो यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्तियों को जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करने हेतु कड़ा संघर्ष करना पड़ता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों को कड़े परिश्रम से भी बड़ी सफलता व उन्नति प्राप्त होती है, मेरा ऐसा मत व अनुभव है कि यदि चतुर्थ भाव में शनि स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति जीवनकाल में एक बार बहुत ऊँचे शिखर पर अवश्य ही पहुँचते हैं, इसके अतिरिक्त चतुर्थ भाव में स्थित शनि की दसवीं दृष्टि लग्न पर पड़ती है जो कि यह दर्शाता है कि ऐसे व्यक्तियों के चेहरे पर किसी प्रकार का कोई निशान (चाहे वह तिल का हो या मस्से का या किसी चोट का या अन्य किसी प्रकार का) रहता है अब यहाँ ध्यान से देखने वाली बात यह है कि चतुर्थ भाव में स्थित शनि कुंडली के छठे भाव जो कि रोग व पीड़ा का भाव है और लग्न जो कि आपका शरीर है दोनों को देखता है साथ ही चतुर्थ भाव में स्थित होने से मानसिक शांति भंग होने के भी योग बना रहा होता है अतः ऐसे व्यक्तियों को कोई ऐसा रोग रहता है जो कि लंबे समय तक चलता है अर्थात ऐसे व्यक्तियों की कुंडली में लंबे समय तक दवाईयाँ खाने के योग बनते हैं।

 

अब जानते हैं कि विभिन्न स्थितियों में चतुर्थ भाव में स्थित शनि किस प्रकार के फल देंगे:-…….

 

पोस्ट की लंबाई को ध्यान में रखते हुए इसका दूसरा भाग जल्द ही प्रकाशित करूँगा।

 

जय श्री राम।

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470

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