कुंभ लग्न और आप: जानिए, कुंभ लग्न वालों का व्यक्तित्व

कुंभ लग्न और आप: जानिए, कुंभ लग्न वालों का व्यक्तित्व

 

कुंभ लग्न वालों का व्यक्तित्व

कुंभ लग्न वालों का व्यक्तित्व

 

कुंभ लग्न में जन्मे व्यक्तियों का शरीर तथा हिर्दय सुंदर होता है साथ है ऐसे व्यक्ति दयालु प्रकृति और परोपकार परायण होते हैं तथा दूसरों की भावना, विचार और मन की बातों को जानने के लिए सर्वदा यत्न करते हैं, दूसरों के दुःख को देखकर कुंभ लग्न वाले व्यक्ति रह नही पाते तथा दूसरों के दुःखो के निवारण हेतु उपाय में लगे रहते हैं तथा सुख व आनंद से जीवन व्यतीत करते हैं, कुंभ लग्न वाले व्यक्ति ईश्वर, धर्म तथा ज्ञान में अपनी रुचि रखते हैं और पाप व दुराचार से दूर रहना पसंद करते हैं, ऐसे व्यक्ति यशस्वी, धनी, मिलनसार, महान, सुगमता पूर्वक कार्य करने में निपुण, सर्व जन प्रिय, मित्रों से प्रीति रखने वाले और सबका मान-सम्मान करने वाले परंतु दंभी होते हैं साथ ही कुंभ लग्न वाले व्यक्ति अत्यंत कामी और कभी-कभी पर स्त्री गमन के इच्छुक होते हैं, बड़े लोगों से इनकी मित्रता रहती है और सभी लोगों में इनकी मान मर्यादा विशेष होती है, ठंडे जल का सेवन इन्हें अत्यधिक प्रिय होता है कुछ ग्रंथकारों में कुंभ लग्न को अच्छा नही माना है किंतु मेरा (ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली) यह मत व अनुभव है कि कुंभ लग्न वाले व्यक्ति अपने जीवन के अंतिम भाग में किसी न किसी रूप का अपयश तथा लांछन व बड़ी हानि प्राप्त करते हैं किंतु धनी, दयालु, धार्मिक, विद्वान, सज्जन, कभी-कभी दुर्जन लोगों से मित्रता रखने वाले, स्त्रियों के वशीभूत व स्त्रियों में प्रीति रखने वाले, एकाधिक प्रेम-प्रसंग करने वाले, कुछ कठोर, अपने सुख व लाभ को सर्वप्रथम देखने वाले, मित्रों से युक्त, जीवन के मध्य भाग में अच्छी सफलता प्राप्त करने वाले व माता के प्रिय होते हैं।

 

कुंभ लग्न वाले व्यक्ति यदि महिला हों तो उपरोक्त गुणों के अतिरिक्त पुत्रों की अपेक्षा पुत्रियों से अत्यधिक प्रेम करने वाली, आनंदमय जीवन तथा शुभ संगीत में जीवन व्यतीत करने वाली, अच्छे विचारों वाली, धार्मिका, जनों से प्रेम करने वाली और कृतज्ञा किंतु रुधिर रोगों से पीड़ित होती है, कुंभ लग्न वाले व्यक्तियों को प्रायः वात प्रकृति की समस्या व सिर दर्द, पेट दर्द, अपच, कोष्ट बद्धता तथा उदर जनित अनेक विकारों से ग्रसित ही रहते हैं, कुंभ लग्न वाले व्यक्तियों का रोग कुछ देर ही रहता है या फिर उनको एक ही रोग एकाधिक बार एक ही समय में हो जाता है या आजन्म रोग बना ही रहता है, इन्हें रुधिर का विशेष ध्यान रखना चाहिए तथा थोड़ा सा भी अस्वस्थ होने पर तुरंत औषधि लेनी चाहिए, स्वच्छ वायु, खुले स्थान का व्यायाम, सादा भोजन इनके लिए उत्तम रहता है, मानसिक व्यथा से बचना चाहिए तथा नेत्रों का पूर्ण सतर्कता से ध्यान रखना चाहिए क्योंकि कुंभ लग्न वालों को नेत्र में समस्या प्रायः बनी ही रहती है।

 

कुंभ लग्न वाले व्यक्तियों के लिए शुक्र अत्यधिक शुभ ग्रह व राजयोगकारक ग्रह होता है, मंगल भी इन्हें शुभ फल प्रदान करता है, कुंडली में मंगल व शुक्र का संबंध इनको उत्तम राजयोग तुल्य सुख प्रदान करता है, बुध व शनि साधारण फल देने वाले ग्रह होते है तथा बृहस्पति और चंद्रमा मारक ग्रह होते हैं किंतु बृहस्पति स्वम् मारक नही होता, यदि सूर्य और शुक्र लग्न में हो तथा राहु दशम भाव में हो तो व्यक्ति को बृहस्पति के अंदर राहु की अंतर्दशा में बेहद शुभ फल मिलते हैं तथा यदि सूर्य और बुध पंचम भाव में स्थित हो तो अच्छी उन्नति के योग बनाते हैं, मिथुन का नवमांश होने और व्यक्ति के प्राकृतिक गुणों का पूर्ण विकास होता है।

 

जय श्री राम।

 

Astrologer:- Pooshark Jetly

Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)

Mobile:- 9919367470, 7007245896

Email:- pooshark@astrologysutras.com

0 replies

Leave a Reply

Want to join the discussion?
Feel free to contribute!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *