कुंडली से कैसे जानें कि ससुराल से प्यार मिलेगा या अपमान भान:-१—Astrology Sutras
कुंडली से कैसे जानें कि ससुराल से प्यार मिलेगा या अपमान भान:-१—Astrology Sutras
यह विषय बहुत ही रोचक है क्योंकि लड़का हो या लड़की सबके मन में यह जानने की प्रवल जिज्ञासा रहती है कि उनका अपने ससुराल से व ससुराल के सदस्यों से कैसा संबंध रहेगा इसके लिए हमें कुंडली में सर्वप्रथम वैवाहिक जीवन से जुड़े सभी भावों पर ग्रहों को देखना चाहिए, हम सभी जानते हैं कि लग्न हम खुद है अर्थात हमारा स्वभाव हमें लग्न बताता है इसके बाद हमें कुंडली के दूसरे भाव का अध्यन करना चाहिए क्योंकि द्वितीयभाव हमारी वाणी का होता है और हमारा समाज में लोगो से कैसा संबंध है यह हमारी वाणी पर निर्भर करता है उसके बाद चतुर्थ भाव का अध्यन करना चाहिए क्योंकि चतुर्थ भाव से हम मानसिक स्थिति व घरेलू सुख का विचार करते हैं तदोपरांत सबसे महत्वपूर्ण भाव सप्तम भाव का विचार करना चाहिए क्योंकि यह भाव हमारे जीवनसाथी के स्वभाव को दर्शाता है उसके बाद अष्टम भाव जो जीवनसाथी व उसके परिवार अर्थात हमारे ससुराल वालों की वाणी का भाव है और यह जातिका का मांगल्य भाव भी होता है, तदोपरांत द्वादश भाव का विचार करना चाहिए क्योंकि यह शैया सुख को दर्शाता है।
नोट:-मेरे अनुसार दशम भाव का विचार करना चाहिए क्योंकि जैसे चतुर्थ भाव हमारी मानसिक स्थिति व घरेलू सुख को दर्शाता है वैसे ही वैसे ही दशम भाव को यदि देखा जाए तो सप्तम से चतुर्थ होने के कारण से जीवनसाथी की मानसिक स्थिति को दर्शाता है।
यह बहुत ही लंबा विषय है जिसे मैं कई भाग में लिखूँगा और इस लेख में सिर्फ मुख्य सूत्रों पर चर्चा करूँगा जिससे हम आसानी से ज्ञात कर सकते हैं कि हमारा हमारे ससुराल वालों से कैसा संबंध रहेगा व हमें अपने ससुराल से प्रेम या अपमान में से क्या प्राप्त होगा।
सूत्र:-
१. सप्तम भाव में शुभ राशि हो और सप्तम भाव शुभ ग्रह से युत व दृष्ट हो तो जातक/जातिका को साँस के पक्ष से सुख की प्राप्ति होती है।
२. सप्तम भाव में यदि अशुभ राशि हो और सप्तम भाव शुभ ग्रह से युत व दृष्ट हो तो जातक/जातिका को साँस के पक्ष से मिश्रित फल की प्राप्ति होती है।
३. सप्तम भाव में यदि शुभ राशि हो और सप्तम भाव अशुभ ग्रह से युत व दृष्ट हो तो जातक/जातिका को साँस के पक्ष से मिश्रित फल की प्राप्ति होती है।
४. सप्तम भाव में यदि अशुभ राशि हो और सप्तम भाव अशुभ ग्रह से युत व दृष्ट हो तो जातक/जातिका को साँस के पक्ष से अशुभ फल की प्राप्ति होती है।
५. यदि लग्नेश और सप्तमेश (पंचधा मैत्री में) शत्रु हों तो जातक/जातिका की ससुराल पक्ष से शत्रुता रहती है।
६. यदि लग्नेश और सप्तमेश (पंचधा मैत्री में) मित्र हों तो जातक/जातिका की ससुराल पक्ष से मित्रता रहती है।
विशेष:-
कुंडली देखते समय हमें इन सभी सूत्रों को ध्यान पूर्वक देखना चाहिए व इन्हें लगाते कैसे हैं इसे दो उदाहरण कुंडली से समझने का प्रयास करेंगे किंतु उससे पूर्व हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि नैसर्गिक मित्रता, तात्कालिक मित्रता व पंचधा मैत्री क्या होती है।
नैसर्गिक मित्रता:-
नैसर्गिक मित्रता पर मैंने पहले भी एक पोस्ट लिखी है पोस्ट की लंबाई को ध्यान में रखते हुए उसकी link आप सभी को उपलब्ध करा रहा हूँ आप वहाँ से देख सकते हैं।
तात्कालिक मित्रता:-
हमें जिस दो ग्रहों की तात्कालिक मित्रता देखनी हो उन दोनों ग्रहों की स्थिति को देखना चाहिए अर्थात जहाँ ग्रह बैठा हो उससे तीन भाव आगे और तीन भाव पीछे यदि कोई ग्रह हो तो वह उसके तात्कालिक मित्र होते हैं अन्य किसी भाव पर होने पर वह ग्रह आपस में तात्कालिक शत्रुता रखते हैं।
पंचधा मैत्री:-
नैसर्गिक मित्रता और तात्कालिक मित्रता के समावेश से पंचधा मैत्री निकलती है जिसे मैं अगली पोस्ट में विस्तार से लिखूँगा अभी उदाहरण को मैं कुछ इस तरह से समझाने का प्रयास करूँगा कि आप सभी को परेशानी न हो।
उदाहरण कुंडली:- १
इस कुंडली में सप्तम भाव में गुरु की मीन राशि है जो कि शुभ ग्रह है तथा सप्तम भाव पर किसी भी ग्रह (शुभ हो या अशुभ) दृष्टि नही है साथ ही इस कुंडली में लग्नेश बुध है और बुध, गुरु को न तो शत्रु मानता है और न ही मित्र एवं बुध से गुरु एकादश भाव में है अतः यह तात्कालिक रूप से भी मित्र हुए अतः सम (+) मित्र = मित्र का योग हुआ।
फल:- हम इन जातिका को कह सकते हैं कि आपका ससुराल वालों से अच्छा संबंध रहेगा व आपको अपने ससुराल से प्रेम व यश की प्राप्ति होगी।
उदाहरण कुंडली:- २
इस कुंडली में शनि सप्तमेश है जो कि क्रूर ग्रह है और लग्नेश सूर्य का नैसर्गिक शत्रु भी है तथा सप्तम भाव पर किसी भी ग्रह (शुभ हो या अशुभ) की दृष्टि नही है एवं लग्नेश सूर्य चतुर्थ भाव में शनि के साथ बैठने से तात्कालिक शत्रु भी हुआ अतः शत्रु (+) शत्रु = अति शत्रु हुए।
फल:- हम इन जातक को कह सकते हैं कि आपकी आपके ससुराल वालों से बिल्कुल भी नही बनेगी तथा आप उनके लिए चाहे जितना कर लें आपको उतना सम्मान नही प्राप्त हो सकेगा जिसकी आप उम्मीद रखते हैं।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470
जय श्री राम