कालपुरुष और राशियों की परिकल्पना–Astrology Sutras
कालपुरुष और राशियों की परिकल्पना–Astrology Sutras
बहुत से लोगों के मन में यह जिज्ञासा प्रायः बनी रहती है कि राशि चक्र का आरंभ मेष राशि ही से क्यों होता है तो चलिए आज ज्योतिषीय दृष्टिकोण से कालपुरुष के बारे में चर्चा करते हैं ज्योतिर्विद प्रवीण सिंह पारमार जी के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में जब माता सती ने अपनी योगाग्नि से स्वयं को पिता दक्ष प्रजापति के यज्ञकुण्ड में, भस्मीभूत कर लिया था तब परमब्रह्म शिव के साक्षात स्वरूप भगवान महादेव ने महारुद्र का रूप धारण किया था उनके विशालकाय रूप ने समस्त सौरमंडल को अधिकार में ले लिया था (जैसा कि हम जानते है राशियाँ आकाश में फैले हुए तारों का समूह हैं।) उनके इसी विशालकाय रूप को कालपुरुष की संज्ञा दी गयी है ज्योतिषीय द्रष्टिकोण से बारह राशियों के गुण धर्म भी कालपुरुष के शरीर पर निर्भर हैं।
उदाहरणार्थ- मेष राशि कालपुरूष का सिर पर आती है, महादेव का त्रिनेत्र परमाग्नि है, यह परम विनाश के साथ-साथ सृजन की भी क्षमता रखता है इसी कारण से मेष राशि अग्नि तत्व की मानी गयी है ज्योतिष शास्त्र में बारह भावों से मानव शरीर के विचार के लिए भी कालपुरूष का ही सहारा लिया जाता है।
जय श्री राम।
Astrologer:- Praveen Singh Parmar
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9415732067
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