कर्क लग्न कुंडली के चतुर्थ, पंचम व षष्ठ भाव में सूर्य का फल
कर्क लग्न कुंडली के चतुर्थ, पंचम व षष्ठ भाव में सूर्य का फल
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी द्वारा लिखित यह ग्रह फल उनके स्वम् के अनुभव पर आधारित है यहाँ सिर्फ एक ही ग्रह के विभिन्न भावों में फल को बताया गया है अतः अन्य किसी ग्रह के युति व दृष्टि संबंध बनाने या नीचभंग राजयोग बनने से बताए गए फलों में कुछ बदलाव संभव रहेगा।
कर्क लग्न कुंडली के चतुर्थ भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के चतुर्थ भाव माता व भूमि स्थान पर सूर्य के अपनी नीच राशि व शत्रु शुक्र के स्वामित्व वाली तुला राशि में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका को धन संग्रह शक्ति के अभाव से दुःख अनुभव होगा अर्थात धन कोष में कुछ कमी रहेगी और माता के सुख-संबंधों में कुछ कमी और वियोग रहेगा तथा कुटुम्बिक सुख की कमी रहेगी साथ ही रहने के स्थान में सुख की कुछ कमी रहेगी और सूर्य के सातवीं दृष्टि से दशम भाव पिता व राज्य स्थान को अपनी उच्च राशि व मित्र मंगल के स्वामित्व वाली मेष राशि में देखने के कारण से पिता का पूर्ण सहयोग प्राप्त होगा और राज-समाज में प्रभाव व मान-प्रतिष्ठा प्राप्त होगी साथ ही कारोबार के क्षेत्र में बड़ी सफलता प्राप्त होगी और जातक/जातिका प्रतिष्ठा और उन्नति प्राप्त करने के लिए धन और सुख शांति की परवाह नही करेंगे।
कर्क लग्न कुंडली के पंचम भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के पंचम भाव विद्या व संतान स्थान पर अपने मित्र मंगल के स्वामित्व वाली वृश्चिक राशि में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका को संतान पक्ष के सुख-संबंधों में कुछ बाधा अनुभव होगी किंतु प्रभावशाली संतान प्राप्त होगी और उच्च शिक्षा प्राप्त होगी तथा वाणी के अंदर बड़ा भारी प्रभाव रहेगा साथ ही स्वभाव में कुछ गर्मी रहेगी तथा जातक/जातिका धन के कोष की वृद्धि का विशेष ध्यान रखेंगे और सूर्य के सातवीं दृष्टि से एकादश भाव लाभ स्थान को शत्रु शुक्र के स्वामित्व वाली वृषभ राशि में देखने के कारण से जातक/जातिका लाभ की शक्ति प्राप्त करते हुए भी लाभ की अधिक परवाह नही करेंगे तथा जातक/जातिका की बातें विशेष रूप से वजनदार और कीमती रहेंगी जिस कारण से समाज में जातक/जातिका इज्जत, मान-प्रतिष्ठा प्राप्त करेंगे।
कर्क लग्न कुंडली के षष्ठ भाव में सूर्य का फल:-
ज्योतिर्विद पूषार्क जेतली जी के अनुसार सूर्य के षष्ठ भाव रोग व शत्रु स्थान पर मित्र गुरु के स्वामित्व वाली गुरु राशि में स्थित होने के कारण से जातक/जातिका को शत्रुओं पर विजय प्राप्त होगी और दवाईयों व शत्रुओं के कारण से धन संग्रह की शक्ति में कुछ कमजोरी अनुभव होगी तथा कुटुंब कुछ कुछ वैमन्यस्ता के साथ प्राप्त होगा साथ ही जातक/जातिका कुछ झगड़े-झंझट युक्त परिश्रमी और प्रभावशाली मार्ग द्वारा धन की वृद्धि करने में सफल होंगे और सातवीं दृष्टि से सूर्य के द्वादश भाव खर्च व बाहरी स्थान पर मित्र बुध के स्वामित्व वाली मिथुन राशि में देखने के कारण से जातक/जातिका खर्चा खूब करेंगे और जन्म स्थान व मातृ स्थान से दूर रहकर विशेष उन्नति प्राप्त करेंगे साथ ही धन ख़र्च करने में गौरव अनुभव करेंगे इसलिए धनकोष का संग्रह करने की परवाह नही करेंगे।
जय श्री राम।
Astrologer:- Pooshark Jetly
Astrology Sutras (Astro Walk Of Hope)
Mobile:- 9919367470, 7007245896
Email:- pooshark@astrologysutras.com
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